Monday, July 1, 2024
बस्ती मण्डल

पांच तरह की बीमारियों के बारे में पता लगाएंगी आशा

– शुरू हुआ दस्तक अभियान, लगाईं गईं 2282 आशा

बस्ती। दस्तक अभियान का आगाज शुक्रवार से हो गया। 30 अप्रैल तक चलने वाले इस अभियान के दौरान आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्री घर-घर जाकर पांच तरह की बीमारियों का पता लगाएंगी। इसी के साथ अगर किसी के घर के पास मच्छर पनप रहे हैं तो उसकी भी रिपोर्ट ब्लॉक पर करेंगी। संबंधित विभाग को इसकी सूचना देकर उसका निवारण कराया जाएगा।

जिला मलेरिया अधिककारी डॉ. आइए अंसारी ने बताया कि विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के साथ ही शुक्रवार से दस्तक कार्यक्रम भी शुरू हो गया है। अभियान में 2282 आशा कार्यकत्री व 2600 आंगनबाड़ी कार्यकत्री को लगाया गया है। इसी के साथ अभियान का सुपरविजन करने के लिए एएनएम, हेल्थ सुपरवाइजर, बेसिक हेल्थ वर्कर्स को भी लगाया गया है।
उन्होंने बताया कि आशा घर-घर जाकर परिवार के लोगों से मलेरिया, टीबी, सर्दी, जुकाम व बुखार (आईएलआई व सारी) से संबंधित सवाल पूछेंगी। इसी के साथ वह यह भी जानकारी लेंगी की घर में कोई अति कुपोषित बच्चा तो नहीं है। अगर किसी में बीमारी के लक्षण मिलते है , या कोई अति कुपोषित बच्चा मिलता है तो इसकी सूचना वह संबंधित ब्लॉक के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को देंगी। संबंधित विभाग सूचना के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगा। उन्होंने बताया कि अगर किसी घर के पास जल जमाव है तथा वहां पर लार्वा पैदा हो रहा है तो इसकी भी सूचना आशा देंगी। सूचना के बाद मलेरिया विभाग वहां का निरीक्षण कर जल निकासी, दवा के छिड़काव आदि की व्यवस्था संबंधित से कराएगा। अभियान की जिला स्तर पर प्रतिदिन समीक्षा कर कमियों को दूर किया जाएगा। अगर किसी को बुखार के लक्षण हों तो आशा कार्यकर्ता से छिपाए नहीं, बल्कि खुल कर बताए । बुखार का समय से पता चल जाने से जांच कर सही दिशा में इलाज हो सकता है।

कारगर रहा है दस्तक अभियान
डीएमओ ने बताया कि दस्तक अभियान काफी कारगर रहा है। पिछले साल एक्युट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस)/ जापानीज इंसेफेलाइटिस (जेई) के कुल 59 मामले सामने आए थे, जबकि उससे पहले वर्ष 2020 में 79 मामले रिकार्ड किए गए थे। वर्ष 2019 में 113 मामले सामने आए थे। उन्होंने बताया कि इस अभियान का परिणाम है कि अब एईएस/जेई में मौत के मामले सामने नहीं आ रहे हैं। आम तौर से लोग इनके प्रति जागरूक है, तथा किसी में लक्षण दिखते ही तुरंत 108 एंबुलेंस की सेवा लेकर मरीज को अस्पताल में भर्ती करा रहे हैं। ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों से लेकर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में एईएस/जेई के इलाज की अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध हैं। समय से इलाज शुरू होने पर मौत की आशंका नहीं रह जाती है।