Wednesday, July 3, 2024
बस्ती मण्डल

चरित्र मानव जीवन का दर्पण है, व्यक्ति प्रतिदिन जो कार्य करता है-पंकज आर्य

बस्ती।आर्य वीर दल के उद्देश्य, कर्तव्य, चरित्र, अनुशासन, स्वास्थ्य आदि का ज्ञान शिविरार्थियों को अत्यन्त सरल तरीके से दिया जा रहा है ताकि आर्यवीर शरीर से सुदृढ़ विचारों में प्रबुद्ध, और कर्तव्य पथ पर अडिग बन सकें। उक्त बातें प्रधान आयोजक ओम प्रकाश आर्य ने व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर के तीसरे दिन के यज्ञ के पश्चात बताई। व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर में

अग्नि शमन केन्द्र बस्ती बस्ती के लीडिग फायरमैन कन्हैया लाल यादव,सत्य प्रकाश राय व काशी नाथ तिवारी द्वारा बच्चों व शिक्षक शिक्षिकाओं को आग लगने पर की जाने वाली सावधानी संसाधन व होने वाली समस्या और आग को प्राकृतिक तरीके से बुझाने का प्रशिक्षण दिया गया । इस अवसर पर प्रथम बौद्धिक कक्षा में बोलते हुए पंकज आर्य प्रान्तीय प्रभारी आर्य वीर दल उत्तर प्रदेश ने बताया कि आदतें ही चरित्र का निर्माण करती है और चरित्र मानव जीवन का दर्पण है। व्यक्ति प्रतिदिन जो कार्य करता है उसका संस्कार उसके मानस पर पड़ता है। ये संस्कार सुदृढ़ होकर स्वभाव बन जाते हैं कहा कि सब सुधारों का सुधार ब्रह्मचर्य है। जो पूर्ण ब्रह्मचारी है उसके लिए संसार की कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है। अपने शरीर की शक्ति को शरीर में सुरक्षित रखकर विद्याध्ययन और ईश्वर की भक्ति करना ब्रह्मचर्य कहलाता है। ब्रह्मचारी से रोग तो क्या मृत्यु भी दूर भागती है। उन्होने बताया कि जवानी रूपी इस रत्न को सुरक्षित रखने के लिए ब्रह्मचर्य के साधन प्रातः जागरण, नियमित व्यायाम,प्रणायाम, संध्या, सत्संग और स्वाध्याय का श्रद्धा से पालन करना चाहिए। इसमें बाधक अश्लील चलचित्र गीत, स्त्रियों का चिन्तन, हास-परिहास और एकान्त सेवन सहित रजोगुणी एवं तमोगुणी पदार्थों का परित्याग करना चाहिए। इसके पश्चात शारीरिक कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रशान्त आर्य प्रशिक्षक आर्य वीर दल दिल्ली द्वारा बच्चों को नियुद्धम के प्रहार व रोक का अभ्यास कराया गया साथ ही त्रिदेष मुष्टि प्रहार, संयुक्त मुष्टि प्रहार, व्याघ्रनख प्रहार, सर्पमुख प्रहार तथा श्येन प्रहार का विधिवत अभ्यास कराया गया। द्वितीय बौद्धिक सत्र में प्रशिक्षक कृष्ण पाल आर्य ने कहा कि विचार मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पत्ति है। विचारशीलता की गति किशोरावस्था के प्रारम्भ में अत्यधिक होती है। इस अवस्था में बालक किसी को भी अपना आदर्श मानकर उसकी ओर आकर्षित होने लगता है। ऐसे में उसे सही मार्गदर्शन की विशेष आवश्यकता होती है अन्यथा भ्रमित होकर वह अपने मार्ग से विचलित भी हो सकता है। शिविर संचालक अदित्यनारायण गिरि ने बताया कि इस अवसर पर बच्चों ने अलग-अलग टोलियों में सेवा और स्वच्छता कार्य किया जिसके अन्तर्गत अतिथि सेवा एवं पर्यावरण के प्रति सजगता का प्रशिक्षण दिया गया साथ ही प्रकृति प्रेम एवं जीवों के प्रति दया भाव रखते हुए आपसी भाईचारे की भावना का पाठ भी पढ़ाया गया।