Wednesday, June 12, 2024
विचार/लेख

ड्रग्स और बॉलीवुड

लेख। इन दिनों ड्रग्स के कारण शाहरुख खान के बेटे की पकड़े जाने की खबर पूरे देश में फैली हुई है यह दो चार दिनों की मीडिया मस्ती है जो शुरू में खूब शोर मचाती है फिर धीरे-धीरे सब चंगा सी हो जाता है राज कुंद्रा हो या सुशांत सिंह का मामला सब यूं ही निपट गया राजनेताओं और अभिनेताओं का गठजोड़ बहुत पुराना है बॉलीवुड में ये घटनाएं आम हैं उनमें से कुछ ही घटनाएं हमारे सामने आ जाते हैं तो हमारी आंखें फटी रह जाती हैं और दिल मानने को तैयार नहीं होता कि अरे यह इतना शानदार हीरो है, फलाना है, यह ऐसा कैसे ऐसे न जाने कितने सवाल-जवाब मन में समाज में टीवी-डिबेट और देश के गली चौराहे पर चलते रहते हैं पर हम जो उन्हें देखते हैं वह पर्दे पर होते हैं जिसमें सच्चाई नाम मात्र की होती है असल जिंदगी तो उससे कहीं अलग होती है पर हम उनके ‘रील लाइफ’ को ही “रियल लाइफ” मान लेते हैं तभी तो गैंग्स ऑफ़ वासेपुर का एक बड़ा जबरदस्त डायलॉग है कि जब तक इस देश में सनिमा है लोग ऐसे ही मूर्ख बनते रहेंगे। सही तो है हम फिल्मों में ही अपना हीरो खोजते हैं, फिल्मों में ही जीतना चाहते हैं फिल्मों की तरह ही अचानक सफल होना चाहते हैं जबकि हकीकत यह है कि वह सिर्फ तीन घंटे की एक फिल्म है और जिंदगी बस तीन घंटे की नहीं होती। इस साल आई एक प्रसिद्ध वेब सीरीज स्कैम का एक डायलॉग है कि हम इंडियंस को हीरो बनाने में और भगवान बनाने में मजा आता है।इसीलिए हम किसी कभी किसी नेता को भगवान बना देते हैं तो कभी किसी अभिनेता को इस देश का आम आदमी को हीरो से जीरो बनाने का मजा ही अलग आता है। पर कोई व्यक्ति भगवान कैसे हो सकता है वह तो मानव ही है जो गलतियां करेगा उल्टे सीधे दो-चार काम भी होंगे कुछ सबकी नजरों से छिपेंगे तो कुछ सबकी नजरों में छपेंगे फिर आप कहोगे कि यह कैसे एक्टर को बस एक्टर ही रहने दीजिए। गॉड मत बनाइए और यह भी ध्यान रखिए कि हम किसे अपना आइकॉन बना रहे हैं। एक तरफ सरकार नशा मुक्ति कार्यक्रम चला रही है तो वहीं कोई जुबा केसरी और दाने दाने में केसर का ऐड कर रहा है।

और आज की युवा पीढ़ी उन्हें अपना यूथ आइकॉन मान रही है और इस तरह के ऐड से कई तरह के कुतर्क सामने आ रहे हैं कि शाहरुख गुटखा खा रहा है तो हम क्यों पीछे रहे तो खाओ भाई पर शाहरुख बीमार पड़ा तो पूरे देश का हेल्थ सिस्टम उनके उसके साथ लग जाता है तुम्हारे एडमिट होने में ही नानी याद आ जाएगी उसे छींक भर आई तो पूरे मीडिया को बुखार आ जाता है इधर तुम्हारा हाल पूछने वाला कोई नहीं। अगर हम उन्हें गॉड मानते हैं, यूथ आइकॉन मानते हैं,रियल हीरो मानते हैं तो उन्हें भी ऐसा आचार,व्यवहार समाज में आम जीवन में उतारने होंगे अगर वह इसे नहीं उतार पाते तो उन्हें सिर्फ एक्टर ही रहने दें इतना सर पर मत चढ़ाओ कि उतारने में वो सर दर्द बन जाए।नशा चाहे कैसा भी हो अंततः वह हमें नुकसान ही पहुंचाता है पर उस के पक्ष में ऐसे कुतर्क जुड़ने वालों से तो बच के ही रहना उचित है कि शाहरुख गुटका का प्रचार करता है तो हमें भी गुटखा खाना चाहिए और संजय वाइन का प्रचार करता है तो हमें वाइन पीना चाहिए उनके काम और और हमारे आम जिंदगी का अंतर समझाइए और जहां तक संभव हो नशे से दूर रहिए।

–देवानंद राय