Monday, July 1, 2024
बस्ती मण्डल

प्राचीन वैदिक संस्कृति में ही सम्पूर्ण मानवता का कल्याण निहित है-ओम प्रकाश आर्य

बस्ती। श्रावणी उपाकर्म का मुख्य उद्देश्य समाज में एकजुटता और भाईचारे की भावना का विकास करना है यह त्यौहार बिना भेदभाव के हमें अपने प्राचीन परंपराओं और भारतीय संस्कृति की ओर लौटने का पावन संदेश देता है। यह बाते श्रावणी उपाकर्म पर्व के षष्ठम दिन के अवसर पर ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाज़ार बस्ती ने आज स्वामी दयानन्द विद्यालय सुर्तीहट्टा में यज्ञ के दौरान लोगों को सम्बोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि प्राचीन वैदिक संस्कृति में ही सम्पूर्ण मानवता का कल्याण निहित है। इसे अपनाकर ही लोग सुखी रह सकते हैं। इसी कड़ी में अपने भजनोपदेश के माध्यम से पण्डिता रुक्मिणी आर्य ने बच्चों को बताया कि नमस्ते सर्वश्रेष्ठ अभिवादन है। नमस्ते जी! नमस्ते जी! गीत सुनाकर बच्चों को अभिवादन शील बनने के लाभ बताये। कहा कि सन्तान माता पिता की आज्ञाकारी और माता पिता संतानों के हितकारी, पत्नी और पति आपस में मधुर भाषी और सुखदायी हों। यही वैदिक कर्म आनन्द का मूल है। साथ ही भाई-भाई, बहिन-बहिन और परस्पर भाई-बहिन सब नियमपूर्वक मेल से वैदिक रीति पर चलकर सुख भोगें। आचार्य सुरेश जोशी ने विद्यार्थियों के पांच लक्षण बताते हुए कहा कि जिज्ञासा कहते हैं बुद्धि की भूख को। जैंसे शरीर की आवश्यकता भोजन है वैंसे बुद्धि की आवश्यकता जिज्ञासा है।जो विद्यार्थी जितना अधिक जिज्ञासु होगा वो उतना ज्ञान-विज्ञान अपने गुरुओं से ग्रहण करेगा। विद्यार्थी जीवन में मित्र की बड़ी भूमिका होती है मित्र गिराते भी हैं उठाते भी हैं। अतः विद्यार्थी को मित्र बनाने से पहले मित्र के व अपने स्वभाव की परीक्षा कर लेनी चाहिए। यदि मित्र की संगति उसके विकास में बाधक है तो उसको तुरंत छोड़ देना चाहिए। विद्यार्थी जिस ज्ञान को सुनता व ग्रहण करता हो वह प्रयोगात्मक भी हो। अर्थात् उपार्जित ज्ञान आचरण में होना चाहिए। शिक्षा व संस्कार में संगति होनी चाहिए। जो विद्यार्थी प्रतिदिन विद्यालय में प्राप्त विद्या का घर पर जाकर पुनरावृत्ति नहीं करता। बार-बार अध्ययन व व्यवहार में नहीं लाता कुछ काल में वो विद्या नष्ट हो जाती है। अतः विद्यार्थी को अध्ययन का अभ्यास लक्ष्य प्राप्ति तक जारी रखना चाहिए। हमारी बुद्धि में ये चारों गुण एक साथ आ जाएं उसके लिए प्रत्येक विद्यार्थी को प्रतिदिन अर्थ सहित गायत्री मंत्र का जाप ध्यान में मन से करना चाहिए। समस्त विद्यालय परिवार ने गायत्री मंत्र के अर्थ को सुना उसके महत्व को स्वीकार कर आचरण का संकल्प लिया। सायंकालीन कार्यक्रम में पण्डिता रुक्मिणी आर्य व अचार्य सुरेश जोशी ने ईश्वर का वैदिक स्वरूप बताते हुए कहा जो लोग नित्य यज्ञ करते हैं वे सदा आनन्द में रहते हैं। यज्ञ से हमें अच्छे उत्तम मेधा बुद्धि, मित्र, पुत्र, धन, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति होती है। जिस परमात्मा के अनन्त सामर्थ्य से सब उपकारी जीव और पदार्थ उत्पन्न हुए हैं उस जगदीश्वर की उपासना करके मनुष्य उपकार करे। इस अवसर पर अदित्यनारायन गिरि, अरविन्द श्रीवास्तव, अनीशा मिश्र, उपेन्द्र आर्य, शुभ्रा वर्मा, एकता गुप्ता, राधा देवी, नितेश कुमार, देवव्रत आर्य, ओंकार आर्य, अलख निरंजन, श्रेया, साक्षी,गणेश कुमार, दिलीप कसौधन, विजय जायसवाल, डॉ अजय कुमार चौधरी सोनिया, अनूप कुमार त्रिपाठी, रोहित कुमार, शुभम, सहित अनेक लोग शामिल रहे।