दोहे
कवि होना मेरे लिए है सचमुच सौभाग्य।
रोज रोज ही लिख रहा कोरोना पर काव्य।
कोरोना ने किया है हमें बहुत गमगीन।
सारी खुशियां हो गई दुख में आज विलीन।
वर्तमान घायल पड़ा रोता है चुपचाप।
किसने आखिर दे दिया कोरोना का शाप।
कोरोना है मुल्क के लिए महा अभिशाप।
प्रकृति नटी जब रुष्ट है क्या कर लेंगे आप?
‘वर्मा’ अब तो कीजिये केवल प्रभु का ध्यान।
कोरोना का शीघ्र हो धरती से अवसान।
#डॉ_वी_के_वर्मा