Tuesday, March 25, 2025
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समाज! स्टार्टअप: अंतिम समय में रोने के लिए उपलब्ध करवा रहा है महिला व पुरुष

-समाज: अंतिम समय में बारह दिनों के लिए अलग-अलग पैकेज

जोधपुर। समाज में संयुक्त परिवार टूटने व एकल परिवार की प्रवृति के चलते जहां हमारी परंपराएं विलुप्त होने लगी हैं। वहीं आज की युवा पीढी शुभ-अशुभ अवसरों पर होने वाली परंपराओं से अनभिज्ञ हो चुके हैं। वहीं एकल परिवार के ट्रेंड ने रिश्तों में भी खटास डाल दी जिससे अंतिम समय में भी लोग शामिल नहीं हो रहे। ऐसे में अंतिम समय में कंधा देने वाला भी नहीं मिलता। बदलते हालात को देखते हुए जोधपुर में फ्यूनरल सर्विसेज सेंटर की शुरुआत की गई हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि भला ये कैसा स्टार्टअप है। जबकि ये सच है, जोधपुर में कुछ लोगों ने मिलकर यह नया स्टार्टअप शुरू किया है। जिसका नाम अंतिम सत्य हैं, इसमें जहां फ्यूनरल के समय पुरुषों व महिलाओं की जरुरत होगी वहां जाने वाली महिला व पुरुष को रोने के पैसे दिए जाएंगे। इस स्टार्टअप के तहत जहां कहीं मौत हुई हो और वहां से कॉल आने पर टीम के सदस्य वहां रोना धोना करेंगी और इसके बदले में पूर्व में तय करार अनुसार सर्विस चार्जेज लिए जाएंगे।

मृतक परिवार के आर्डर पर रोने के लिए जाने वाली महिलाएं और पुरुष जितने पैसे तय हुए उसके अनुसार ही रोना धोना किया जाएगा। हैरानी की बात तो ये है कि अब तक तो मृतक के परिजन ही घर में किसी की मौत होने पर रोते थे। मगर अब रोने के लिए ये किराए के रिश्तेदार पहुंच जाएंगे।

जोधपुर में शुरू हुआ स्टार्टअप

राजस्थान का दूसरा बड़ा शहर जोधपुर में यह स्टार्टअप जिसका नाम अंतिम सत्य शुरु किया गया है जो काम और उसकी रेट्स तय करता है। यह स्टार्टअप मरने वाले के परिवार में किए जाने वाले सभी कार्य के लिए स्टाफ और पंडित उपलब्ध करवाता है। इसमें रोने धोने से लेकर शवयात्रा ले जाने तथा बारह दिनों में होने वाले क्रियाकर्म की सेवा दी जा रही हैं। सभी काम के लिए रेट पहले से ही फिक्स हैं। खास बात ये हैं, कि इस स्टार्टअप के बाद लोग इससे जुड़ भी रहे हैं और सेवाएं भी ले रहे हैं।

अंतिम सत्य के नाम से शुरू की कंपनी  

फाउंडर गजेंद्र पारीक ने कहा कई समाज में संयुक्त परिवार टूट चुके हैं। संयुक्त परिवार टूटने और बड़े बुजुर्गों का साथ छूट जाने से अब लोगों को पता भी नहीं है कि अंतिम संस्कार में कैसे रीति रिवाज काम में लिए जाते हैं। सनातन धर्म में तो दिन का महत्व होता है। 15 यानी किसी की मृत्यु होने के बाद 15 दिन तक क्या- क्या कार्यक्रम होते हैं इसकी जानकारी आज के एकल परिवार को नहीं है।

टीम में सभी तरह के लोग शामिल

पारीक ने बताया, टीम में महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग व पंडित शामिल हैं। यह लोग घर में किसी के देहांत होने पर पूजा पाठ कराने और अन्य कार्यों के लिए जाते हैं। कंपनी 12 से 15 दिन तक का फुल पैकेज देती है। जिसमें 20 महिलाएं, लड़कियां 10, पुरुष और लड़के 10 और पंडित और पूजा पाठ करने वाले लोग 10 शामिल होते हैं। यह पैकेज करीब 60 हजार रुपए का होता है। इसके अलावा, 15 दिन का फुल पैकेज जिसमें पूजा पाठ, ब्राहाण भोजन और अन्य रिवाज होते हैं। उसके लिए करीब 1 लाख 21 हजार से लेकर 1 लाख 50 हजार रुपए तक का पैकेज हैं।