Tuesday, March 25, 2025
बस्ती मण्डल

श्री बाबा झुंगीनाथ धाम में 7 दिवसीय श्रीविष्णु महायज्

बस्ती । श्री बाबा झुंगीनाथ धाम में 7 दिवसीय श्रीविष्णु महायज्ञ संत सम्मेलन में श्रीमद्भागवत कथा के छठवेे दिन व्यासपीठ से आचार्य देवर्षि त्रिपाठी ने कहा कि तक्षक जगत से पृथक नही है, वह भी ब्रम्ह रूप है। शुकदेव जी ने परीक्षित को ब्रम्ह का दर्शन कराकर निर्भय कर दिया। कथा को विश्राम देते हुये महात्मा जी ने कहा कि सतकर्म का कोई अंत नहीं। कथा सुनकर जीवन में उतारेंगे तो श्रवण सार्थक होगा।
महात्मा जी ने कहा कि मनुष्य का शरीर ही वह कुरूक्षेत्र है जहां निवृत्ति और प्रवृत्ति का युद्ध होता रहता है। इस शरीर रथ को जो श्रीेकृष्ण के हाथों में सौंप देता है उसे विजय श्री मिलती है । सुदामा ने ईश्वर से निरपेक्ष प्रेम किया तो उन्होने सुदामा को अपना लिया और अपने जैसा वैभवशाली भी बना दिया। जीव जब ईश्वर से प्रेम करता है तो ईश्वर जीव को भी ईश्वर बना देते हैं।
महात्मा सन्तोष शुक्ल ने सुदामा चरित्र, उद्धव जी का भगवान की चरण पादुका लेकर बदरिकाश्रम जाने, यदुकुल संहार और भगवान के स्वधाम गमन, और कलयुग के धर्मो के वर्णन सहित अनेक प्रसंगो का वर्णन करते हुये कहा कि ज्ञानयोग, निष्काम कर्मयोग, भक्तियोग का ज्ञान देते हुये भगवान कृष्ण ने कहा कि उद्धव इस अखिल विश्व में मैं ही व्याप्त हूं, ऐसी भावना करना। सुख दुख तो मन की कल्पना है। जो सदगुणो से सम्पन्न है वह ईश्वर है और असंतुष्ट व्यक्ति दरिद्र।
संयोजक धु्रवचन्द्र पाठक ने बताया कि 26 जनवरी को हवन, यज्ञ, भण्डारे के साथ अनुष्ठान सम्पन्न होगा। कथा में मुख्य यजमान गुरू प्रसाद गुप्ता, उदय नरायन पाठक, सीता पाठक, जगदम्बा पाण्डेय, शीतला गोस्वामी, शिवमूरत यादव, रामसुन्दर, उदयनरायन पाठक, ओम प्रकाश पाठक, परमात्मा सिंह, अनिल पाठक, मनोज विश्वकर्मा, नरेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी, त्रियुगी नारायण त्रिपाठी, हृदयराम गुप्ता, पिन्टू मिश्रा, बब्लू उपाध्याय, रामसेवक गौड़, उर्मिला त्रिपाठी, बीरेन्द्र ओझा , अमरजीत सिंह , शुभम पाठक , राम बहोरे , उमेश दुबे सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे।