मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत नुरुल इस्लाम के प्रांगण में उर्से रजवी का आयोजन किया गया
नगर बाजार, बस्ती। शनिवार को नगर पंचायत नगर बाजार में स्थित मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत नुरुल इस्लाम के प्रांगण में उर्से रजवी का आयोजन किया गया। इस दौरान कुरानख्वानी और फातिहा ख्वानी का एहतमाम किया गया। उसके बाद तकरीर करते हुए मौलाना शमसुद्दीन ने कहा कि आला हजरत बचपन से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ रहे। इनके पिता मौलाना नकी अली खान और दादा मौलाना मुफ्ती रजा अली खान ने 1857 की जंग-ए-आजादी में हिस्सा लिया था। ये दिल्ली से अंग्रेजों के खिलाफ जारी होने वाले फतवों का बरेली में समर्थन करते थे। कई बार अंग्रेजों ने आला हजरत के पिता को गिरफ्तार करना चाहा लेकिन हर बार वह नाकामयाब रहे। जैसे ही अंग्रेजी फौज के आने की भनक मौलाना नकी अली खान को लगती थी, वह मस्जिद में चले जाते थे। वहां अंग्रेज जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते थे।
अंग्रेजों के खिलाफ किया जेहाद का एलान…
फाजिल-ए-बरेलवी इमाम अहमद रजा खां (आला हजरत) ने अपनी जिंदगी में लगभग 1400 किताबें लिखी और अंग्रेजों के खिलाफ कई फतवे जारी किए। उनके फतवों के असर से ब्रिटिश हुकूमत तिलमिला उठी थी।यही वजह थी कि ब्रिटिश सरकार के उच्च पदों पर बैठे अधिकारी उनसे नफरत किया करते थे। यहां तक कि आला हजरत ने अंग्रेजों के खिलाफ जेहाद का एलान कर दिया था। उन्होंने मुसलमानों को अंग्रेजो के होने वाले तमाशों और भाषणों में जाने पर मना किया।वह मुसलमानों को उनके किसी भी कार्य्रकम में जाने से रोकते थे।
इस इस अवसर पर मदरसा प्रबंधक अब्दुल कलाम, उप प्रबंधक डॉक्टर हबीबुल्लाह अंसारी, हाफिज गुलाम सरवर, मौलाना फैज, मास्टर सरवर आलम, मास्टर मोहम्मद शकील, मास्टर मोहम्मद अकरम, मास्टर सोहेल, रजिया खातून, रुकैया बानो और छात्र उपस्थित रहे।