अंतहीन नकारात्मकता परोसते थके हुए सीरियल।
अंतहीन है यह सीरियल और उनकी कहानी जिसमें से बहुत पहले से ही दुर्गंध आने लगी है केवल नकारात्मकता के अलावा कुछ भी नहीं है इनमें। ना इनपर कोई नियंत्रण है ना कोई रोक। सीरियल में आजकल आश्चर्यजनक तरीके से समाज में फैल रहे कोढ़ की तरह कुछ कुरीतियों को परोसा जा रहा है और उसे सही ठहराया जा रहा है हम क्यों हर चीज स्वीकार कर लेते हैं हम क्यों उस पर कुछ बोलते नहीं लिखते नहीं। समाज के जो आदर्श नियम थे उनको तोड़ने की पुरजोर कोशिश जारी है इन तथाकथित सीरियलों के द्वारा। लड़का और लड़का ,लड़की लड़की और लड़की का एवं लिव इन रिलेशन को सही ठहराती हुई बोगस कहानियां आधा सत्य दिखती है। यह इसीलिए परोसा जा रहा है कि धीरे-धीरे इसकी स्वीकारोक्ति हो जाए जो की बहुत ही खतरनाक है।
अचरज तो तब होता है जब अच्छे और उम्दा कलाकार भी इन तरह की कहानियों में अभिनय अदा करने को तैयार हो जाते हैं।
आश्चर्य तो यह होता है कि इतनी नकारात्मकता के बाद भी लोग इसे देखते हैं ।
यह हमारे आने वाली पीढ़ियों को बर्बाद कर रहा है इसमें कोई रिश्ता पवित्र नहीं कोई रिश्ता सच्चा नहीं जो की धरातल पर पूर्ण तया असत्य है।चाहे कार्यालय हो ,चाहे विद्यालय हो वहां जो चीज हो ही नहीं सकती वही दिखाते हैं
हमारे समाज की समरूपता, सामंजस्य और सांस्कृतिक विरासत को यह सीरियल चूर-चूर कर रहे हैं इनसे कोई कुछ सीख तो रहा नहीं है अपितु बहुत तेजी से हम बर्बादी की ओर जा रहे हैं।
लोग कुछ भी देखते हैं सड़ा गला कुछ भी परोष दो कुछ भी देखते हैं यही त्रासदी है हर एक क्षेत्र में हर एक विषय में सबको सिर्फ अपना सुख अपना स्वार्थ ही दिखता है। इसीलिए सब चलता है की आदत ने सर्वनाश की राह पर हम सबको डाल दिया है।
युवा पीढ़ी आपको गुमराह लगती होगी परंतु वह सचेत है सजग है केवल उन्हें समय-समय पर सही सलाह और संबल चाहिए जो उन्हें उनकी मंजिल की ओर ले जाए जो यह सीरियल कतई नहीं प्रदान करते । कुछ भी दिखाते हैं वह स्वाभाविकता और यथार्थ से परे हैं दूर क्यों जाना आप ही बताइए कौन-कौन से अफसर है जो गाली देकर बात करते हैं आपने देखा ऐसा कोई अफसर या कौन सा ऑफिस या कार्यालय है जहां लोग एक दूसरे से गाली देकर बात करते हैं ,या घर में एक दूसरे से गाली देकर बात की जाती है मगर इन सीरियलों में यह सब इतना दिखाया जाता है जिससे कि वह आज की पीढ़ी को यह समझा दे कि यह सब कूल है चलता है।
ऐसा किस घर में होता है कि घर की पार्टियों में शराब सरेआम छोटे बड़े सब पीते हैं कुछ जिम्मेदार तो हम भी हैं इन सब चीजों के। 25वीं ,50वीं विवाह की वर्षगांठ पर हम कोई पूजा घर में नहीं रखते कितने दिन का साथ ,इतने लंबे जीवन के सफर को मनाने के लिए हम होटल में चले जाते हैं हम पूजा पाठ रख सकते हैं अखंड रामायण कर सकते हैं कुछ नहीं तो 108 हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं लेकिन हम लोग यह सब करना ही नहीं चाहते। नवरात्र मे 9 दिन माता का नाम लीजिए 10 भजन गाइये एक दूसरे के साथ मिल बैठकर चाय पिलाइए और कुछ भजन गायन करिए इसी बहाने सब आएंगे भजन गाएंगे नयी पीढ़ी भी उन्हें सुनेगी और सीखेगी। आप किसी असहाय की मदद भी कर सकते हैं।काम बांट दीजिए कोई लड्डू ले आए कोई फल ले आए कोई फूल ले आए मिलकर करिए किसी एक पर भार नहीं आएगा तो आप इसे कर पाएंगे आगे आइए और इन चीजों को करने की शुरुआत करिए इसकी आवश्यकता अब बहुत ज्यादा है। बच्चों के जन्मदिन उनकी विशेष उपलब्धि पर छोटी सी पूजा आप सभी रख सकते हैं। बच्चों से छोटे-छोटे घर के काम अवश्य करवाये उन्हें सिलाई, कढ़ाई ,पुस्तक कला , फूलों की माला बनाना, रंगोली , चावलों को रंगना , प्राथमिक चिकित्सा, बागवानी के बारे में बताएं और हो सके तो अवश्य सिखाएं हम सभी यह सब सीख के पढ़े हैं और आज किसी से भी कम नहीं है। आज की पीढ़ी साधारण बटन भी लगाना नहीं चाहती है या उन्हें आता ही नहीं ।हमें इसे बदलना होगा शुरुआत घर से ही होगी स्वयं के घर से करिए।
जो अच्छी पिक्चरें आती हैं उनकी मार्केटिंग एडवरटाइजिंग होती नहीं जिसे सबको देखना चाहिए उसे कोई देखता नहीं सैम बहादुर जैसी पिक्चरें सबको देखनी चाहिए लेकिन उसकी एडवर्टाइजमेंट है ही नहीं अटल जी के ऊपर जो पिक्चर आई वह भी सबको देखनी चाहिए हम उससे बहुत कुछ सीख सकते हैं लेकिन इन चीजों का ना प्रचार प्रसार है ना किसी को इससे मतलब हमें अपनी आदतों को अपनी रुचियां को भी अंदर तक खंगालना होगा। बदलाव स्वयं से ही शुरू होता है लिए स्वयं को बदले। ना कहना हम सबको शुरू करना होगा और अपनी आदत में डालना होगा जो चीज सही नहीं है उसके लिए पुरजोर आवाज में ना कहना ही होगा। जरुर सोचे ।
डाक्टर महिमा सिंह