Friday, July 5, 2024
बस्ती मण्डल

पुस्तक मेले में साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ ‘मतवाला’ की स्मृति में कवि सम्मेलन

सोते हैं जो फुटपाथोें पर उन्हें एक छोटा सा घर दे

बस्ती । टाउन क्लब में चल रहे पुस्तक मेले में वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला की स्मृति में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन मुशायरे का आयोजन किया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र और संचालन वरिष्ठ कवि डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने किया। मुख्य अतिथि महेश प्रताप श्रीवास्तव ने कहा कि कवितायें हमें संवेदनशील और करूणामय बनाती है। यह कवि से ही संभव है कि वह वर्तमान के साथ ही भविष्य के उल्लास, वेदना को भी रेखांकित करने में समर्थ है।
अर्चना श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से आरम्भ कवि सम्मेलन में डा. वी.के. वर्मा की रचना ‘ जिसने जन्म लिया है वर्मा, उसे एक दिन मरना है, भांति-भांति के परिवर्तन से हमें तनिक न डरना है, सुनाकर जीवन के मर्म पर रोशनी डाली। विनोद उपाध्याय ‘हर्षित’ ने कुछ यूं कहा ‘ अदब के लिहाज से खामोश हो गया, वरना आपके सवाल का बेहतर जबाब था’ सुनाकर वाहवाही लूटी। कानपुर से पधारी प्रख्यात कवयित्री डा. अंजना कुमार की रचना ‘ दिल क्या लगा लिया उनसे हमने, तब से बेकरारी ही बेकरारी है’ के साथ ही श्रृगंार और ओज की अनेक रचनाओं से वातावरण को सरस बना दिया। संचालन कर रहे डॉ. राम कृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कुछ यूं कहा-‘ नया वर्ष कुछ ऐसा कर दे, सबके भीतर खुशियां भर दे, सोते हैं जो फुटपाथोें पर उन्हें एक छोटा सा घर दे’ के साथ अनेक रचनाओं के द्वारा श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। मुख्य अतिथि महेश श्रीवास्तव की पंक्तियां ‘ कांटों की जिन्दगी हो या फूलों की जिन्दगी‘ जो कुछ भी हो लेकिन हो वसूलों की जिन्दगी’ सुनाकर संदेश दिया। इसी कड़ी में समीर तिवारी, डा. अफजल हुसेन अफजल, अजय श्रीवास्तव ‘ अश्क’, अर्चना श्रीवास्तव, डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’, डा. पारस वैद्य, डा. अजीत ‘राज’, विशाल पाण्डेय, रहमान अली ‘रहमान’, अनवार पारसा, अशद वस्तवी, दीपक सिंह ‘प्रेमी’, पंकज सोनी, अदम्य पाण्डेय आदि की रचनायें सराही गई। अध्यक्षता कर रहे डॉ. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला की स्मृति को नमन् करते हुये कुछ यूं कहा ‘ दिखती चारो तरफ भव्यता, राम संस्कृति, राम सभ्यता’ के द्वारा मर्यादा पर जोर दिया।
कार्यक्रम में वृहस्पति पाण्डेय ने कविगणोें का सम्मान करते हुये आभार ज्ञापन किया। मुख्य रूप से पंकज त्रिपाठी, धर्मेन्द्र पाण्डेय, डा. राम मूर्ति त्रिपाठी के साथ ही बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।