Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

शिकायत छोड़िए।

चलो कुछ करो अपने अंदर अगन जगाओ।

क्यूं हुआ किसने किया इस बहस को छोड़कर कुछ कर दिखाओ।
बात बात पर शिकायत करने से
मसले हल नहीं हुआ करते।
आइए साथ बैठिए कीजिए बात
और गिला दूर कीजिए।
जाने कब किसके बिछड़ने का समय आन खड़ा हो जाए,
इसलिए शिकायत छोड़िए झट से गले मिलिए।
शिकायत की पोटली समंदर में बहा दीजिए,
बात को समझने का थोड़ा सा ही सही प्रयास तो कीजिए।
उलझनें खुद-ब-खुद ही सुलझ जाएगी।
किसी को शिकायत रोक टोक से,
किसी को शिकायत सबसे बड़ा बच्चा होने की ,
किसी को जमाने भर से शिकायत
किसी को पानी हवा से भी शिकायत।
अरे भगत सिंह,आजाद, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान पन्ना धाय, लक्ष्मीबाई ने कभी की नहीं शिकायत,
बस प्यार किया अलबेला मातृभूमि से सबकुछ कर ग ए न्यौछावर हंसते हंसते ।
कुछ तो सीखो इन मतवालों से ।
किसी को शिकायत महंगाई से,
किसी को शिकायत ईश्वर से ।
शिकायत से क्या कोई खुश रह पाया है
इस जहान में,
नहीं तो छोड़ इस शिकायत का साथ ,
मस्त रहिए प्यार, खुशी, विश्वास और मेहनत का दामन थाम के।

स्वरचित
शब्द मेरे मीत
डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश