कविता संग्रह– भाव मिहिका शब्द मेरे मीत का विमोचन हुआ संपन्न
नई दिल्ली। साहित्य की साधिका डॉक्टर महिमा सिंह द्वारा लिखित कविता संग्रह भावमिहिका शब्द मेरे मीत का विमोचन दिल्ली में हिरन्त स्टूडियो जनकपुरी में गत रविवार को सफलतापूर्वक फ्लोरेंट प्रकाशन द्वारा संपन्न हुआ। यह उनकी प्रथम एकल पुस्तिका है । लगभग 60 सांझा संकलन में सहभागिता कर चुकी है जिसमें से 5 तो फ्लोरेंट प्रकाशन के ही साथ है।
इस अवसर पर अनेकों साहित्यकार एवं समस्त प्रकाशन समूह अंत तक उपस्थित रहे ।
दीप प्रज्वलन और मां शारदे की स्तुति के पश्चात समारोह का शुभारंभ हुआ । प्रकाशक समूह में मीना सिंह मीन ,मोनिका सिंह, चेतना लवास ,प्रियंका गहलौत एवं विश्वनाथ मिश्रा जी उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम में आदरणीय सुनील चौधरी दीद लखनवी जी , निधि भार्गव ,रचना साहनी विशेष अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए सभी ने पुस्तक के सुंदर कवर की बहुत सराहना करी, उन्हें पुस्तक का नाम भी बहुत पसंद आया । पुस्तक की सभी कविताएं किसी न किसी उद्देश्य को प्रकट करती हैं और किसी न किसी पहलू को सहजता से सरलतम शब्दों में पिरोकर व्यक्त करने का सुंदर प्रयास किया है कवियत्री डॉक्टर महिमा सिंह जी ने।
पुस्तक का कलेवर, छपाई सभी उत्कृष्ट कार्य का परिचायक है ।पुस्तक में कुल 112 पृष्ठ है। लगभग कुल 60 कविताएं हैं ।मां शारदे की स्तुति, पिता को समर्पित कविता सहज ही हृदय जीत लेती है ।बप्पा की जय ,शब्द बड़े अनमोल, कृष्णा महिमा ,रासलीला, यत्र तत्र सर्वत्र माँ, दर्पण, नशा मुक्ति, तीन प का जाल, डोली, अंतर्मन की व्यथा ,फरेब आदि कविताएं बहुत कुछ सोचने को विवश करती हैं ।छंद ,दोहा ,चौपाई और उन्मुक्त कविताएं बर बस ही आकृष्ट करती हैं। निसंदेह कवियत्री डॉक्टर महिमा सिंह जी का काव्य संग्रह उनकी कविताओं को परिपक्वता की ओर ले जाता है ।मंच संचालन की भूमिका में आदरणीय सुधीर कुमार हरित जी ने जान डाल दी और उन्होंने बहुत ही सुंदर और बेहतरीन ढंग से मच संचालन किया। मिसेज ग्लैमर इंडिया इंटरनेशनल रचना जी ने भी उनकी रचनाओं को पढ़ा एवं लेखिका की लेखनी को सराहा जो उनकी बड़ी बहन भी है हालांकि वह थोड़ी देर के लिए ही समय दे पायी । बेहद उम्दा साहित्य के पुरोधा दीद लखनवी जी ने इस अवसर पर उद्गार व्यक्त करते हुए कहा की महिमा जी खड़े-खड़े शब्दों को बांधकर कविता गढ़ देने में माहिर है जो कि मैंने अन्यत्र किसी को करते हुए नहीं देखा। निधि जी ने भी अपने मन की बात कही एवं पुस्तक की सराहना की ।
लखनऊ में पली बढ़ी डॉक्टर महिमा सिंह जी ने भी इस अवसर पर अपने हृदय के उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने कहा की पुस्तक लेखको के हृदय का टुकड़ा होती हैं, उनके जीवन भर की तपस्या का प्रतिफल होती है। जो पन्नों पर ढ़लकर पन्नों के महल पर सजकर ,पुस्तक के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान तक का लंबा सफर करती हैं ।
पुस्तक को हाथ में लेकर पढ़ने के सुख की अनुभूति का कोई अन्य विकल्प हो ही नहीं सकता ।महिमा जी ने कहा कि हमें पुस्तक उपहार में लेनी और देनी चाहिए। बच्चों को अच्छी पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। प्रियंका जी मोनिका जी मीना जी चेतना जी एवं विश्वजीत जी आदि समस्त फ्लोरेट प्रकाशन समूह ने आकर्षक पोस्टर से मंच को सुंदर ढंग से पुस्तक के लोकार्पण के लिए सजाया एवं हर एक छोटी से छोटी बात का ध्यान रखा कार्यक्रम को सफल ,सुनियोजित एवं सुचारु रूप से अंत तक खूबसूरती से संपन्न किया।
महिमा जी ने प्रकाशन समूह की पारदर्शिता शिष्ट एवं सरल व्यवहार की भूरी भूरी प्रशंसा की ।सभी ने कवियत्री डॉक्टर महिमा सिंह जी को बधाई दी और सूक्ष्म जलपान ग्रहण किया ।
डॉक्टर महिमा सिंह जी ने ईश्वर को अनेको धन्यवाद किया कि आज का यह शुभ अवसर उनके जीवन में उनकी कृपा से आया साथ ही उन्होंने बताया कि शीघ्र दूसरा एकल संग्रह भी इसी प्रकाशन के सहयोग से प्रकाशित होगा।