Tuesday, December 3, 2024
बस्ती मण्डल

पुरानी संसद से जुड़ी हैं बस्ती के अजय पाण्डेय की यादें

बस्ती । कप्तानगंज के मूल निवासी इन्दिरा गांधी इण्टर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य स्वर्गीय डॉक्टर हरिहर प्रसाद पाण्डेय के पुत्र अजय कुमार पाण्डेय ने संसद से जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा किया। कहा कि पूर्व निजी सचिव राज्यसभा सचिवालय के रूप में उन्होने संसद के गौरव गरिमा और कार्य पद्धति को निकटता से देखा, समझा, 19 सितम्बर से नई संसद में काम काज शुरू हुआ, यह देश के लिये बड़ी उपलब्धि है किन्तु पुराने संसद की स्मृतियां सदैव उन्हें साहस देेंगी।

यहां प्रेस को जारी विज्ञप्ति के माध्यम से इन्दिरा चेरिटेबल सोसायटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि आजादी से पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का स्थान हुआ करता था बाद में संसद भवन के रूप में इसको पहचान मिली। संसद भवन के प्रवेश द्वार पर चांगदेव के उपदेश का वाक्य ‘लोकद्वारम’ आने वाली पीढियां को हमेशा- हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। 2 साल 11 महीना तक इसी संसद भवन में संविधान सभा की बैठक हुई थी और उनमें देश के लिए एक मार्गदर्शक जो आज भी हमें चलना है हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को प्राप्त हुआ। मतदान की उम्र 21 वर्ष से 18 वर्ष करने का निर्णय, ग्रामीण मंत्रालय का गठन, आदिवासी मंत्रालय, वन नेशन, वन टैक्स, वन रैंक ,वन पेंशन, सर्व शिक्षा अभियान जैसे अनेक ऐतिहासिक निर्णय इसी संसद भवन से लिए गए थे। इस 75 वर्ष की संसदीय यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस संसद भवन परिसर में रहते हुए सबने उसमें सक्रियता से योगदान भी दिया है और साक्षी भाव से उसको देखा भी है। कहा कि हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत विश्वमित्र के रूप में अपनी जगह बना पाया है। पूरा विश्व भारत की मित्रता को अनुभव कर रहा है। और उसका मूल कारण है हमारे जो संस्कार है वेद से विवेकानंद तक जो हमने पाया है, आज विश्व को हमेशा लाने में जोड़ रहा है।

भारत के सामान्य मानवी की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा का प्रतिबिंब नये संसद भवन में भारत की आत्मा की आवाज अब गूंजेगी और विकसित राष्ट्र का संकल्प सिद्ध करेगी। श्री पाण्डेय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्रांसजेंडरों के बारे में भी चर्चा किया। इसी सदन में ट्रांसजेंडरों के लिए भी सरकार ने कानून बनाया उन्हें आगे बढ़ने को संरक्षण देने का संकल्प लिया ये भी पुराने संसद को संविधान सदन के रूप में जाना जाएगा। उन्होने सांसद हरीश द्विवेदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुये कहा कि यह सुखद है कि वे जन सरोकारों से जुड़े है।