Tuesday, October 15, 2024
साहित्य जगत

चंद्रयान 3

चंद्रयान पर मैं लिखूं, एक कविता अनमोल।

धरती से दिखता सुन्दर, चांद धवल और गोल।।

धरती मां ने भेजा है,राखी पर रक्षा बंधन।
भारत मां ने लगा दिया, चंद्र भाल पर भी चंदन।।

चंद्रयान3 चंद्र लोक में, कैसी शुभ घड़ी आई है।
भारतवासी नाच रहे, चहुंओर बजी शहनाई है।।

हे, चंद्रयान! लेकर आना,चंदा का सुन्दर शुभ संदेश।
तुम अतिथि हो चांद नगर के,पा लेना आतिथ्य विशेष।।

भारत के गौरव का तुम!, गुणगान वहां पर करना।
रज भूमि का कण माथे पर, और! भाल पर मलना।।

विक्रम लैण्ड दक्षिणी ध्रुव पर, धरना इसरो अमिट अवशेष।
श्लोकों से अभिसिंचित करना, मंत्रों से करना अभिषेक।।

चांद पर भी बजा दिया है, इसरो ने भारत का डंका।
चंद्रयान ने गाड़ दिया है, चांद के सीने पर भी झंडा।।

आर्यावर्ती सरोज “आर्या
लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)
बृहस्पतिवार- 24/8/2023