फाइलेरिया से बचाव के लिए पांच साल तक साल में एक बार दवा का सेवन अनिवार्य
संतकबीरनगर, 28 जून 2023। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए अगस्त में प्रस्तावित एमडीए अभियान सम्बन्धित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं । इसी कड़ी में सेमरियांवा और सांथा ब्लॉक के सीएचओ व एएनएम को भी प्रशिक्षित किया गया । इस मौके पर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ यू ए अंसारी ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। यह बीमारी मुख्यतः व्यक्ति के शरीर के चार अंगों जैसे पैर, हाथ, अंडकोष और महिलाओं के स्तन को प्रभावित करती है। शुरुआत में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। इसके लक्षण दिखने में पांच से 15 साल लगते हैं। इसलिए सभी को फाइलेरिया की दवा खाना बेहद जरूरी है, ताकि जिससे उचित समय पर ही इसकी रोकथाम की जा सके। सभी के समन्वय का नतीजा रहा कि पिछले एमडीए अभियान की कवरेज 92 प्रतिशत रही है। इस बार भी बेहतर करना है।
डॉ अंसारी ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान 10 अगस्त से शुरू होकर 28 अगस्त तक चलाया जाएगा। इस अभियान को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए ही जिले के सांथा और सेमरियांवा ब्लाक क्षेत्र के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों व एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया है। पाथ संस्था के सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
इस मौके पर पाथ संस्था की रीजनल एमडीए आफिसर डॉ सुचेता शर्मा ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए की दवाएं खाना ही सबसे महत्वपूर्ण विकल्प है। अगर कोई व्यक्ति लगातार पांच साल इस दवा को खाता है तो उसके शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी समाप्त हो जाएंगे।
डॉ सुचेता ने बताया कि अभियान के दौरान आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अपने समक्ष कराएंगी। हर साल चलने वाले एमडीए राउंड के दौरान दवा का सेवन अवश्य करें। इस दवा का सेवन दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। इस बार नौ माह से दो वर्ष तक के बच्चों को एमडीए अभियान के दौरान ही एलबेंडाजोल की आधी गोली खिलाई जाएगी। बाकी लोगों को एलबेंडाजोल के साथ ही निर्धारित मात्रा में एमडीए की दवा खाना आवश्यक है। एमडीए की दवा फाइलेरिया के परजीवियों को नष्ट करने के साथ पेट के अन्य कीड़ों व समस्याओं को दूर करने में भी मदद करती हैं। खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है। प्रशिक्षण के दौरान सांथा में 23 तथा सेमरियांवा में 26 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी मुस्कान गुप्ता ने बताया कि फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी के बारे में बेहतर जानकारी मिली है। इन जानकारियों व कार्ययोजना के आधार पर अभियान में वह बे सहयोग देंगी।
*दवा खाने से इंकार करें तो लें इनका सहयोग*
पीसीआई के जिला समन्वयक दिलीप त्रिपाठी ने बताया कि अगर कोई दवा खाने से इनकार करता है तो ग्राम प्रधान, धर्मगुरुओ, रैपिड रिस्पांस टीम, कोटेदार व शिक्षकों की मदद ली जा सकती है। इसके बाद भी अगर कोई इससे इनकार करता है तो उसकी कांउंसिलिंग के लिए जिला स्तर से टीम जाएगी। डब्ल्यूएचओ, यूनीसेफ, पाथ व पीसीआई जैसी स्वयंसेवी संस्थाएं निरन्तर सहयोग में लगी रहेंगी।
*संचारी रोगों के साथ टीबी, फाइलेरिया व कालाजार के प्रति भी करें जागरुक*
पाथ संस्था की जिला समन्वयक संतोषी ने उपस्थित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से कहा कि जिले में 1 से 31 जुलाई तक विशेष संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान भी चलेगा। अभियान के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों को संचारी रोगों जैसे जेई व एईएस के अतिरिक्त क्षय रोग, कालाजार व फाइलेरिया के प्रति भी जागरुक करेंगी। दस्तक अभियान के दौरान ही फाइलेरिया का हेड काउंट सर्वे भी होगा ताकि कार्ययोजना बनाई जा सके। इ उन्होंने कहा कि लोगों को इस बात के लिए जागरुक करें कि वह अन्य लोगों को भी घरों के आस-पास जल भराव न होने देने, साफ-सफाई रखने, ताजा भोजन करने, पानी उबाल कर पीने, साबुन से हाथ अच्छी तरह से धोने, खुले में शौच से नुकसान आदि के बारे में जागरूक करें । अभियान में ‘हर रविवार मच्छरों पर वार’ पर भी ज़ोर दिया जाएगा। किसी भी प्रकार के रोग से पीड़ित होने पर रोगी को 108 एंबुलेंस की मदद से सीएचसी व पीएचसी पर पहुंचाने के लिए प्रेरित करें ताकि सही समय पर उन्हें समुचित इलाज मिल सके। बीमारी के शीघ्र पहचान और इलाज से जटिलताओं को रोका जा सकता है।