पोषण पुनर्वास केन्द्र के जरिए सुनीता ने 36 बच्चों को दिया नया जीवन
संतकबीरनगर, 20 जून 2023 । गांव के कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाने की दिशा में बेलहर ब्लॉक के रसूलपुर गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता मिश्रा अनुकरणीय योगदान दे रही हैं। वर्ष 2016 से अब तक उन्होंने गांव के 300 से अधिक बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराया है। इन बच्चों में से 36 ऐसे अति कुपोषित बच्चे रहे जिन्हें जिला चिकित्सालय स्थित पोषण पुनर्वास केन्द्र ( एनआरसी ) में भर्ती करा कर आंगनबाड़ी की मदद से नया जीवन दिया गया ।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता मिश्रा बताती हैं कि वर्ष 2016 से वह योगदान दे रही हैं। वर्ष 2016 में उनके गांव की दो साल की अंजू पुत्री श्रवण का उम्र के हिसाब से वजन नहीं बढ़ रहा था। उन्होंने इस बात की जानकारी तत्कालीन सीडीपीओ को दी। सीडीपीओ ने उन्हें बच्ची को पोषण पुनर्वास केन्द्र ले जाने की सलाह दी। इसके बाद वह अंजू और उनकी मां को लेकर जिला अस्पताल स्थित केन्द्र पहुंचीं। वहां पर चिकित्सकों की निगरानी में बच्ची का इलाज हुआ। लगातार फॉलो अप के बाद बच्ची की स्थिति में सुधार हुआ और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। बच्ची के स्वस्थ होने के बाद उनका मनोबल बढ़ा। इसके बाद वह अति कुपोषित बच्चों को लेकर अपने ब्लॉक से 40 किलोमीटर दूर पोषण पुनर्वास केन्द्र की सेवाएं दिलवाने लगीं । अब तक उनकी मदद से 36 अति कुपोषित बच्चे समाज की मुख्य धारा में आकर स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। रसूलपुर के आलमपुर निवासी अतहर अली बताते हैं कि उनकी ढाई साल की पुत्री आशिया अतिकुपोषित थी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता की सलाह पर ही उन्होने अपनी बच्ची को केन्द्र में गत 7 जून को भर्ती कराया। उसकी हालत पहले से बेहतर है। सुनीता हमेशा बेहतर सलाह देती हैं।
चुनौतियों का किया सामना, आसान हुई राह
सुनीता बताती हैं कि जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर पोषण पुनर्वास केन्द्र में बच्चों को भर्ती करवाना एक बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती का सामना सबसे ज्यादा पहली बार अंजू को भर्ती कराने के दौरान करना पड़ा, लेकिन बाद में यह काम आसान हो गया । वह शुरूआती दौर में सुपोषित हुए बच्चों का उदाहरण देकर अभिभावको को एनआरसी जाने के लिए तैयार करती हैं ।
सुनीता की तरह ही बने हर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता – डॉ. नम्रता
पोषण पुनर्वास केन्द्र की चिकित्सक डॉ नम्रता चौधरी बताती हैं कि सुनीता का व्यवहार बहुत ही अच्छा है। वह केन्द्र में बच्चों को नियमित लेकर आती रहती हैं। यही नहीं फॉलोअप कराने के लिए भी वह बच्चों के परिजनों के साथ आती हैं। वह बच्चों के पोषण के प्रति सतर्क रहती हैं। सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सुनीता के कार्यों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। कुपोषण को समाप्त करने के लिए जरुरी है कि चिकित्सकीय प्रबन्धन की आवश्यकता वाले अति कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया जाय और उनका नियमित फॉलोअप किया जाय।
आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को भी प्रोत्साहन राशि
एनआरसी के प्रभारी डॉ. डी. पी. सिंह बताते हैं कि यदि कोई आशा कार्यकर्ता या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किसी बच्चे को लेकर एनआरसी में भर्ती कराती हैं तो उन्हें भी 100 रुपए दिए जाते हैं तथा चार फॉलोअप करवाने पर प्रति फॉलोअप के हिसाब से 400 रुपए प्रदान किए जाते हैं। उन्होंने अपील की कि आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ता कुपोषित बच्चों की पहचान के बाद उन्हें एनआरसी में भर्ती कराएं।