रामलीलाःशूर्पणखा की नाक कटी, रावण ने किया माता सीता का हरण
बस्ती । सनातन धर्मी संस्था और श्री रामलीला महोत्सव आयोजन समिति की ओर से अटल बिहारी वाजपेई प्रेक्षागृह में चल रहे श्रीराम लीला के सातवें दिन शूर्पणखा नासिका भंग, खर दूषण वध, सीता हरण, जटायु मरण सहित विभिन्न लीलालों का मंचन हुआ। भगवान लक्ष्मीनारायण के आरती से शुरू हुई रामलीला में श्री भगवान जी की आरती दशरथ गद्दी अयोध्या के महंथ बृजमोहन दास, अभय नारायण त्रिपाठी, अरविंद पाल ने किया। मुख्य यजमान सेवानिवृत्त आई एफ एस अभय नारायण त्रिपाठी ने भूमिका रखते हुये बताया कि चित्रकूट से आगे चलने पर भगवान श्रीराम ने ऋषि मुनियों के कष्ट जानकर भारतभूमि को राक्षसों से रहित करने का प्रण ले लिया था। ‘निश्चर हीन करहु महि, भुज उठाई प्रण कीन्ह।।’ चित्रकूट से पंचवटी के रास्ते में एक मात्र कबंध राक्षस से ही युद्ध हुआ जिसका उन्होंने बध किया। पंचवटी में यदि सूर्पनखा युद्ध करने आती तब तो ताड़का की तरह उसका भी बध ही किया जाता किन्तु वह तो प्रणय निवेदन लेकर उपस्थित हुई थी। उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया में बहुत ही प्रमुखता के साथ जगह जगह रामलीला का मंचन माना जाता है और दुर्भाग्य है भारत इस कला से दूर हो रहा है। कहा कि दर्शकों का उत्साह और कलाकारों का अभिनय देखकर लगता है कि यह आयोजन आगे के वर्षों में महोत्सव का रूप लेगा।
रामलीला मंचन में व्यास कृष्ण मोहन पाण्डेय, विश्राम पाण्डेय ने कथा सूत्र पर प्रकाश डालते हुये बताया कि पंचवटी में सूर्पनखा घूमते हुए पहुंचती है। वह राम-लक्ष्मण के समझ विवाह का प्रस्ताव रखती है। लेकिन श्री राम उसके छल-कपट को पहचान कर अनुज लक्ष्मण के पास भेज देते हैं। लक्ष्मण के विवाह से इंकार करने पर वह क्रोधित होकर अपने असली राक्षसी रूप में प्रकट हो जाती है। श्री राम का संकेत पाते ही लक्ष्मण ने उसके नाक-कान काट दिए। रावण की बहन सूर्पणखा की नाक कटते ही तालियों की गड़गड़ाहट से प्रेक्षागृह में गूंज उठा। नाक-कान कटने के बाद वह खर दूषण के पास जाती है। खर दूषण राम-लक्ष्मण से युद्ध करने आते हैं और दोनो ही मारे जाते हैं। शूर्पणखा के उलाहने पर पहुंचे राक्षस खर-दूषण का सिर जैसे ही धड़ से अलग हुआ तो लोगों ने पुष्पों की वर्षा शुरू कर दी।
शूर्पणखा रोते हुए रावण के पास पहुंचती है और कहती है – ‘अरे मूढ़ मदपान कर सोता है दिन रात, शत्रु सिर पर आ गया, नहीं तुझे क्या ज्ञात।’ इसके बाद शूर्पणखा पूरा वृतांत रावण को बताती है। खर दूषण के वध के बारे में भी बताती है। तब रावण सूर्पनखा के अपमान का बदला सीता हरण करके लेने को कहता है। वह मारीच को स्वर्ण मृग बनाकर भेजता है। जब राम- लक्ष्मण उस मृग को मारने के लिए जाते हैं तब रावण साधू वेश धारण कर कपट के द्वारा सीता का हरण कर के लंका ले आता है। व्यास कृष्ण मोहन पाण्डेय ने कहा सीता लक्ष्मण रेखा नहीं लांघती तो रावण कभी हरण नहीं कर सकता था। आज भी ऐसे बहुत से मायावी रावण घूम रहे हैं, इनसे समाज को सतर्क रहना होगा।
दर्शकों में आशीष दूवे, धीरेंद्र सिंह, रमेश सिंह, सुभाष शुक्ल, अखिलेश दूबे, आमोद, उपाध्याय, डॉ एस के तिवारी, रोहन दूबे, वृहस्पति पाण्डेय, बृजेश सिंह मुन्ना, आशीष शुक्ल, अनुराग शुक्ल, विवेक मिश्र, राहुल त्रिवेदी आदि शामिल रहे।