Sunday, January 26, 2025
साहित्य जगत

मिले अगर सच्चा गुरु…..

मिले अगर सच्चा गुरु हो तम का अवसान!
हर पल थिरके अधर पर मन्द-मन्द मुस्कान!
शरणागत हूँ कीजिए त्रिविध ताप का नाश!
बना लीजिए हे प्रभू मुझको अपना दास!
जो कर देता ह्रदय से इच्छाओ का अन्त!
सच्चे अर्थो में वही होता सच्चा सन्त!
जिस दिन माया मोह से होगी तुम्हे विरक्ति!
उस दिन तुमको मिलेगी प्रभु की नवधा भक्ति!
संसारिक सुख के लिए करते घोर विलाप!
अरे प्रभू के लिए भी क्या रोते हैं आप!
डॉ. राम कृष्ण लाल जगमग