Sunday, April 21, 2024
व्रत/त्यौहार

एलियंस आर्किड स्प्रिंग सोसाइटी कोरत्तुर चेन्नई में पोंगल का भव्य आयोजन।

भारतवर्ष की सबसे प्रमुख विशेषताएं अनेकता में एकता है।भारतवर्ष के प्रत्येक त्यौहार हमें अपनी मिट्टी से जोड़ते हैं और हर बार जीवन में एक नया रंग भरते हैं। मकर संक्रांति भी पूर्णतया प्रकृति को समर्पित त्योहार हैं। जो संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है नाम अलग-अलग ,तरीके रिति रिवाज़ अलग मगर त्यौहार एक ।अद्भुत है इन्हें जानना। मैं उत्तर भारत की मूल निवासी हूं ,पिछले पांच वर्षों से तमिलनाडु चेन्नई में निवास कर रही हूं। हर पर्व को करीब से जानने का सबसे अच्छा तरीका है उस में भाग लेना और प्रत्येक पल को स्वयं जीना और आत्मसात करना।

संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल के नाम से जाना जाता है यह मुख्यत: चार दिनों का त्यौहार होता है‌ आज के दिन से उनका तमिल नव वर्ष शुरू होता है।फसलों की कटाई का उत्सव इसे माना गया है अन्य शब्दों में इसे शस्य उत्सव भी कहा जाता है। तमिल में पोंगल का शाब्दिक अर्थ होता है उफान या विप्लव ।लोक संस्कृति और परंपरा को समर्पित , भरपूर वर्षा के लिए ,धूप के लिए और पशुओं के लिए पूजा आराधना और प्रकृति का धन्यवाद किया जाने वाला पर्व है यह। दक्षिण भारत का एक बहुत ही प्रमुख त्यौहार है जिसे हर्षोल्लास के साथ चार दिनों तक मनाते हैं। प्रत्येक दिन का अलग अलग महत्व होता है।

साधारण या सरल शब्दों में कहा जाए तो अच्छी फसल के लिए भगवान भास्कर और प्रकृति को धन्यवाद देने का पर्व है तमिल में पोंगल का शाब्दिक अर्थ है उबालना यहां के निवासियों से बात करने पर पता चला कि ” पिरान्धाल वाजही पिराक्कुम” कहने से परिवार की सारी आपत्ति विपत्ति सब गायब हो जाते हैं ऐसा विश्वास है। यह समय विवाह के आयोजनों के लिए भी उपयुक्त और शुभ माना जाता है।

पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल कहते हैं इस दिन इंद्र देव की पूजा की जाती इंद्रदेव को भोगी के रूप में भी जाना जाता है अगर देखा जाए तो यह लोहड़ी और होलिका दहन के समान ही दिखता है। आज के दिन सभी लोग घरों की साफ-सफाई करते हैं तथा शाम को मुख्य द्वार एवं आंगन में रंगोली बनाते हैं और बाहर अग्नि प्रज्वलित करते हैं लकड़ी और कंडे का प्रयोग करके उसमें घर की पुरानी चीजों को डालते हैं। बच्चे और महिलाएं इसके चारों तरफ नृत्य करते हैं और रातभर भोगी कोट्टम बजाया जाता है।

पोंगल के दूसरे दिन को सूर्य पोंगल या थाई पोंगल के नाम से जाना जाता है। यह इस त्यौहार का सबसे बड़ा और मुख्य दिन होता है सभी लोग मिट्टी के चूल्हे पर बड़े से नए मिट्टी के मटके में घर के बाहर सूर्य के समक्ष चावल और दूध साथ में पकाते हैं। गन्ने का मंडप भी बनाया जाता है ।केला, गन्ना, नारियल भी भोग में रखते हैं ।जब पोंगल यानी चावल और दूध पक जाता है तो उसकी पूजा की जाती है महिलाएं आरती उतारती और सभी पोंगल पोंगल का उच्चारण करते हैं सूर्य भगवान को भोग लगाते हुए उन्हें धन्यवाद अर्पण किया जाता है। आज के दिन कोलम का भी खास महत्व होता है वैसे तो यहां हर घर के आगे सुबह-सुबह ही कोलम बना मिलता है परंतु पोंगल में तो यह मन को इतना प्रभावित करता है जिधर निकलिए उधर सुंदर रंगो द्वारा विशिष्ट रंगोली बनी हुई मिलती है रंगोली में गाय, गन्ना, चूल्हे पर चढ़ी मटकी मुख्यतया बनाए जाते हैं पारंपरिक परिधान धारण करके प्रत्येक परिवार बहुत ही सुंदर ढंग से इसे आनंद पूर्वक मनाता है। नृत्य, विभिन्न प्रकार के आयोजन भी आज के दिन किए जाते हैं।
तीसरा दिन मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है जो की पूर्णतया पशुओं को समर्पित है उनकी पूजा होती है उन्हें सजाया जाता है गले में उनके नई घंटी बांधी जाती है उनके सिंग को रंगा जाता है और आज ही के दिन जलीकट्टू का खेल भी खेला जाता है ।

चौथा दिन कन्नुम पोंगल के रूप में मनाया जाता है।कन्नुम का शाब्दिक अर्थ है देखना या मिलना। आज के दिन सभी एक दूसरे से उनके घर पर मिलने जाते हैं एक दूसरे को मिलकर शुभकामनाएं देते हैं नए वस्त्र धारण करते हैं पकवान बनाते हैं महिलाएं पकवान बनाकर भाइयों की आरती उतारती हैं और उनकी सुख और समृद्धि के लिए कामना करती हैं। आम के पत्तों का तोरण बनाकर घरों में लगाया जाता है। आज के दिन मुख्यता एक दूसरे को देखना मिलना विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।

यह तो मैंने आपको बताया कि पोंगल मुख्यत: चार दिनों तक मनाया जाता है। और उसमें क्या-क्या करते हैं तो इस वर्ष भी एलियंस आर्किड स्प्रिंग सोसाइटी में पोंगल बहुत ही धूमधाम से मनाया गया ।सभी ब्लॉक के लोगों ने एक ही जगह एक ही स्थान पर पोंगल मनाया। हर ब्लाक के नाम का एक चूल्हा बना उस पर नयी मिट्टी की बड़ी मटकी रखी गई और उसमें पोंगल पकाया गया। सभी महिलाएं बहुत ही सुंदर पारंपरिक परिधान पहनकर आयी हुयी थी। यहां के परिधान के साथ-साथ बालों में गजरा लगाना विशेष तौर पर जरूरी होता है सभी पुरुष शर्ट और धोती धारण करते हैं छोटे-छोटे बच्चे भी आज के दिन धोती पहने हुए थे और मन को बहुत ही लुभा रहे थे जैसे ही पोंगल बन कर तैयार हो गया सभी महिलाओं ने उसकी आरती की और सभी पुरुषों ने पोंगल पोंगल कहकर उसका उच्चारण किया और हर्ष ध्वनि की उसके बाद सभी में प्रसाद वितरण हुआ। उसके बाद विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन हुआ जिसमें सभी उम्र के लोगों ने भाग लिया और पुरस्कार जीते इस अवसर पर कई पंडाल भी लगे थे लोगों ने खूब खरीदारी की। कपड़ों के, बच्चों की वस्तुओं के पंडाल ने लोगों को खूब आकर्षित किया ।पोंगल के अवसर के कारण सोसाइटी के निवासियों के लिए पंडाल लगाने का नि: शुल्क ऑफर था उसे कोई भी शुल्क नहीं लिया गया था और कार्यक्रम में चार चांद लगाने के लिए पारंपरिक नृत्य करने वाले लोगों को बुलाया गया था जो ढोल बजा के और बहुत ही सुंदर परिधान पहन के नित्य कर रहे थे कोई मोर बना था कोई शेर बना था और वे पारंपरिक नृत्य करते हुए पूरी सोसाइटी के हर ब्लॉक का चक्कर लगाते हैं। बैलगाड़ी भी मंगवाई गई थी जिसमें बैल के सिंग को रंगा गया था उसमें गुब्बारा बांधा गया था। बच्चे बैलगाड़ी की सवारी करके बहुत प्रसन्न थे। लगे हाथ मैंने भी बैलगाड़ी की सवारी का आनंद प्राप्त किया और खूब सारी सेल्फी भी ली कुल मिलाकर हमारे सारे त्यौहार हम सबको खुशियां प्रसन्नता और सौहार्द ही देते हैं हर त्यौहार में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए चाहे आप वहां के हो या ना हो हमें उन्हें जानने का समझने का यह सुनहरा अवसर होता है हर त्यौहार हमारा है हम चाहे जहां हो मैं तो यही कहती हूं और मानती हूं की हम भारतीय हैं ना उत्तर भारतीय दक्षिण भारतीय और त्योहारों का एक ही लक्ष्य है हम सबको खुशियां प्रदान करना । हम सब को एक दूसरे के निकट लाते हैं हम सब एक दूसरे को ज्यादा समझ पाते हैं आइए मिलकर हर त्यौहार में शामिल हो और उसे मनाएं क्योंकि हम केवल और केवल एक भारतीय हैं और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।

डाक्टर महिमा सिंह