Sunday, April 21, 2024
साहित्य जगत

वरिष्ठ कवि डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के साहित्यिक सरोकारों पर संगोष्ठी में विमर्श

डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ को ‘राष्ट्रीय साहित्य उपासक’ सम्मान

बस्ती । बुधवार को प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान की ओर से वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला की अध्यक्षता में कलेक्टेªट परिसर में चाशनी के साथ ही विभिन्न विधाआंें पर 7 काव्य संकलन की रचना करने वाले वरिष्ठ कवि डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के व्यक्तित्व, कृतित्व पर परिचर्चा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ को ‘राष्ट्रीय साहित्य उपासक’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने कहा कि रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ पिछले 5 दशक से काव्य संसार में बस्ती की सांस्कृतिक माटी की गंध को देश के साथ ही विदेशांे में पहुंचा रहे हैं। हास्य, गंभीर लेखन के साथ ही इन दिनों वे स्वामी विवेकानन्द पर केन्द्रित महाकाव्य की रचना में व्यस्त है। निश्चित रूप से उनकी यह कृति कालजयी होगी। बी.के. मिश्र ने डा. जगमग के साहित्यिक सरोकारोें पर विन्दुवार विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि वे घोर संकट में भी मुस्कुराने की भाव भूमि पर खड़े है।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि पिछले 5 दशक से राजधानी दिल्ली से लेकर देश प्रदेश के कवि सम्मेलनों में डा. जगमग की उपस्थिति सिद्ध करती है कि उनकी सक्रियता लगातार बनी हुई है। कहा कि चाशनी से प्रकाशन का जो दौर शुरू हुआ वह ‘ किसी की दिवाली किसी का दिवाला’ काव्य संग्रह ‘विलाप खण्ड काव्य’ ‘हम तो केवल आदमी हैं’ ‘बाल सुमन, ‘सच का दस्तावेज’ को जहां पाठकांे का अपार स्नेह मिला वहीं ‘ खुशियों की गौरैया’ काव्य संकलन प्रकाशन प्रकिया में है। वे अपने समय के चार पीढियांे के साहित्यिक सेतु हैं। संचालन करते हुये श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि डा. ‘जगमग’ बहुआयामी कवि है, उनके रचना संसार में जन मानस की भावनायें सहजता से व्यक्त होकर श्रोताओं की जुबान पर उतर जाती हैं।
गोष्ठी में रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ का दर्द छलक गया, कहा कि पश्चिम बंगाल, उड़ीसा सहित अनेक राज्यों में अपने अंचल के कवियों को आदर देने का पारम्परिक भाव है किन्तु उत्तर प्रदेश में न जाने क्यों यह परम्परा हाशिये पर है। संस्थान के प्रति आभार व्यक्त करते हुये डॉ. ‘जगमग’ ने कहा कि अभी कई समयगत सन्दर्भ उनका पीछा करते हैं, पूरा प्रयास होगा कि शीघ्र उन्हें स्वर मिले।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से दीपक सिंह ‘प्रेमी’ ओम प्रकाशधर द्विवेदी, असद बस्तवी, गणेश मौर्य, पेशकार मिश्र, सुदामा राय, प्रदीप श्रीवास्तव, राघवेन्द्र शुक्ल, दिनेश सिंह, सन्तोष कुमार श्रीवास्तव, दीनानाथ यादव, शाद अहमद ‘शाद’ अजमत अली सिद्दीकी, सामईन फारूकी के साथ ही अनेक लोगों ने डा. जगमग के साहित्यिक विधाओं पर प्रकाश डाला।