पानी की बर्बादी अब आपको पहुंचा सकती है जेल, भरना पड़ सकता है 1 लाख का जुर्माना
नई दिल्ली। क्या आप भी पानी की बर्बादी करते हैं, तो सावधान हो जाएं, क्योंकि केंद्र के एक नए निर्देश के अनुसार अब पीने योग्य पानी के दुरुपयोग दंडनीय अपराध होगा, जिसके लिए एक लाख रुपए तक का जुर्माना भी हो सकता है और पांच साल तक की जेल भी हो सकती है। जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास व गंगा कायाकल्प के तहत केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 5 के तहत एक अधिसूचना जारी की है।
दरअसल, राजेंद्र त्यागी एंड फ्रेंड्स (एनजीओ) द्वारा दायर एक याचिका दायर के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के एक निर्देश के बाद सीजीडब्ल्यूए का यह नोटिफिकेशन आया है, जिसमें पानी की बर्बादी करने वालों पर देश में दंडनीय अपराध का दुरुपयोग करने की मांग की गई थी, जबकि इससे पहले भारत में पानी की बर्बादी अथवा दुरुपयोग करने पर किसी दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान नहीं था।
सीजीडब्ल्यूए की अधिसूचना के अनुसार सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जल आपूर्ति से संबंधित नागरिक निकाय, जल बोर्ड, जल निगम, जलकल विभाग, नगर निगम, नगर परिषद, विकास प्राधिकरण, पंचायत अथवा कोई अन्य निकाय यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि वो भूगर्भ से निकाले गए पीने योग्य पानी का कोई अपव्यय या दुरुपयोग न हो और उल्लंघन के लिए कठोर दंडात्मक उपायों के साथ एक अनुपालन तंत्र विकसित करें।
गौरतलब है 2025 तक प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में 25 फीसदी की कमी होने का अनुमान है। अनुमान के मुताबिक 2011 और 2025 के बीच औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति उपलब्धता में 25 प्रतिशत की कमी आई है और 2035 तक यह घटकर 36 प्रतिशत रह जाएगी। यही कारण है कि केंद्र ने भूजल को बर्बाद करने के लिए दंड सहित कठोर उपायों के साथ तंत्र को विकसित करने और लागू करने के लिए सभी राज्यों को भी लिखा है।
एनजीटी ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को निर्देश दिया था कि नियामकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पानी की बर्बादी लाभदायक नहीं है और इस तरह के अपव्यय की लागत वसूल की जानी चाहिए। देखा गया है कि भूजल का उपयोग करने में आम जनता की ओर से जागरूकता की कमी है, जिसके परिणामस्वरूप ओवरहेड टैंक के जरिए भी पानी का अपव्यय होता है।