Sunday, May 19, 2024
विचार/लेख

गो संरक्षण : न्यायालय की सक्रियता पर सरकारी कर्मियों की उदासीनता

समुद्र मन्थन के दौरान इस धरती पर दिव्य गाय की प्रकट हुई थी जिस कारण भारतीय गोवंश को माता का दर्जा दिया गया है, इसलिए उन्हें “गौमाता” कहा जाता है | हमारे शास्त्रों में गाय को पूजनीय बताया गया है इसीलिए हमारी माताएं बहनें रोटी बनाती है तो सबसे पहली रोटी गाय की अलग कर देती हैं । गाय का दूध अमृत तुल्य कहा जाता है । भागवत पुराण के अनुसार, सागर मन्थन के समय पाँच दैवीय कामधेनु ( नन्दा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला, बहुला) निकलीं थीं।

कामधेनु या सुरभि (संस्कृत: कामधुक) ब्रह्मा द्वारा ली गई। दिव्य वैदिक गाय (गौमाता) ऋषि को दी गई ताकि उसके दिव्य अमृत पंचगव्य का उपयोग यज्ञ, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए किया जा सके।
राजस्थान उच्च न्यायालय की सक्रियता
राजस्थान उच्च न्यायालय भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के सुझाव दे चुका है। उसने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह केंद्र सरकार के साथ समन्वय में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पवित्र विचार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि गाय का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। गाय को भारत देश में मां के रूप में जाना जाता है और देवताओं की तरह उसकी होती पूजा है। इसलिए गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए। गाय के संरक्षण को हिंदुओं का मौलिक अधिकार में शामिल किया जाए। भारतीय शास्त्रों, पुराणों व धर्मग्रंथ में गाय के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कोर्ट ने कहा कि भारत में विभिन्न धर्मों के नेताओं और शासकों ने भी हमेशा गो संरक्षण की बात की है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 48 में भी कहा गया है कि गाय नस्ल को संरक्षित करेगा और दुधारू व भूखे जानवरों सहित गौ हत्या पर रोक लगाएगा।
गाय भारत की संस्कृति है
गौ हत्या के आरोपी जावेद की जमानत अर्जी नामंजूर करते हुए न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने कहा कि सरकार को संसद में बिल लाकर गाय को मौलिक अधिकार में शामिल करते हुए राष्ट्रीय पशु घोषित करना होगा और उन लोगों के विरुद्ध् कड़े कानून बनाने होंगे, जो गायों को नुकसान पहुंचाते हैं। कोर्ट ने कहा कि जब गाय का कल्याण तभी इस देश का कल्याण होगा।
कोर्ट ने कहा कि गाय के संरक्षण, संवर्धन का कार्य मात्र किसी एक मत, धर्म या संप्रदाय का नहीं है बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का काम देश में रहने वाले हर एक नागरिक, चाहे वह किसी भी धर्म की उपासना करने वाला हो, की जिम्मेदारी होती है।
कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने ऐसे कई उदाहरण हैं जब हम अपनी संस्कृति को भूले हैं तब विदेशियों ने हम पर आक्रमण कर गुलाम बनाया है। आज भी हम न चेते तो अफगानिस्तान पर निरंकुश तालिबानियों का आक्रमण और कब्जे को हमें भूलना नहीं चाहिए।
मांस खाना मौलिक अधिकार नहीं
कोर्ट ने कहा गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है। इसकी हत्या की इजाजत देना ठीक नहीं। यह भारतीय कृषि की रीढ़ है। कोर्ट ने कहा 29 में से 24 राज्यों में गोवध प्रतिबंधित है। एक गाय जीवन काल में 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है और गोमांस से केवल 80 लोगों का पेट भरता है। महाराजा रणजीत सिंह ने गो हत्या पर मृत्यु दण्ड देने का आदेश दिया था। कई मुस्लिम व हिंदू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई। मल मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है। गाय की महिमा का वेदों पुराणों में बखान किया गया है। रसखान ने कहा जन्म मिले तो नंद के गायों के बीच मिले। गाय की चर्बी को लेकर मंगल पाण्डेय ने क्रांति की। संविधान में भी गो संरक्षण पर बल दिया गया है। कोर्ट ने कहा गाय को मारने वाले को छोड़ा तो फिर अपराध करेगा। कोर्ट ने संभल के जावेद की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा कि वैज्ञानिक मानते हैं कि गाय ही एकमात्र पशु है जो ऑक्सीजन लेती और छोड़ती है । गाय के दूध, उससे तैयार दही, घी, उसके मूत्र और गोबर से तैयार पंचगव्य कई असाध्य रोगों में लाभकारी होता है।अदालत ने अपने निर्णय में कहा, ”हिंदू धर्म के अनुसार, गाय में 33 कोटि देवी देवताओं का वास है. ऋगवेद में गाय को अघन्या, यजुर्वेद में गौर अनुपमेय और अथर्वेद में संपत्तियों का घर कहा गया है। भगवान कृष्ण को सारा ज्ञान गौचरणों से ही प्राप्त हुआ।” अदालत ने कहा, ”ईसा मसीह ने एक गाय या बैल को मारना मनुष्य को मारने के समान बताया है। बाल गंगाधर तिलक ने कहा था कि चाहे मुझे मार डालो, लेकिन गाय पर हाथ ना उठाओ। पंडित मदन मोहन मालवीय ने संपूर्ण गो हत्या का निषेध करने की वकालत की थी। भगवान बुद्ध गायों को मनुष्य का मित्र बताते हैं। वहीं जैनियों ने गाय को स्वर्ग कहा है। हिंदू सदियों से गाय की पूजा करते आ रहे हैं।
कोर्ट ने कहा, ”भारतीय संविधान के निर्माण के समय संविधान सभा के कई सदस्यों ने गोरक्षा को मौलिक अधिकारों के रूप में शामिल करने की बात कही थी। हिंदू सदियों से गाय की पूजा करते आ रहे हैं। यह बात गैर हिंदू भी समझते हैं और यही कारण है कि गैर हिंदू नेताओं ने मुगलकाल में हिंदू भावनाओं की कद्र करते हुए गोवध का पुरजोर विरोध किया था।”
अदालत ने कहा, ”कहने का अर्थ है कि देश का बहुसंख्यक मुस्लिम नेतृत्व हमेशा से गोहत्या पर देशव्यापी प्रतिबंध लगाने का पक्षधर रहा है. ख्वाजा हसन निजामी ने एक आंदोलन चलाया था और उन्होंने एक किताब- ‘तार्क ए गाओ कुशी’ लिखी जिसमें उन्होंने गोहत्या नहीं करने की बात लिखी थी। सम्राट अकबर, हुमायूं और बाबर ने अपनी सल्तनत में गो हत्या नहीं करने की अपील की थी।”
अदालत के मुताबिक, ”जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद के मौलाना महमूद मदनी ने भारत में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्रीय कानून लाए जाने की मांग की है। इन समस्त परिस्थितियों को देखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने और गोरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार में शामिल किए जाने की जरूरत है।”

हाईटेक गोशाला में ऐप से निगरानी
अदालत के उपरोक्त निर्णय और सनातन मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश और बस्ती जिला प्रशासन ने कुछ लक्ष्य निधारित कर रखे हैं। जिले के 118 स्थायी और अस्थाई गोशालाओं में पल रहे पशुओं की बेहतर देखभाल के लिए गोशाला मैनेजमेंट पोर्टल और मोबाइल ऐप का प्रयोग शुरू होने की बात कही जा रही है। इस तकनीक से पशुओं कीउपलब्धता, चारा, कर्मियों की मौजूदगी और डॉक्टर्स के विजिट आदि की मॉनिटरिंग आसानी से की जा सकेगी।
पशु चिकित्सक से लेकर सफाईकर्मियों की ट्रेनिंग
इसके लिए सभी पशु चिकित्साधिकारियों की ट्रेनिंग पूरी हो गई है। ग्राम प्रधान, सचिव, सफाईकर्मी की ट्रेनिंग ब्लॉक स्तर पर करवाई गई है। सभी गोआश्रय स्थलों की मैपिंग कराते हुए इससे संबंधित सभी आवश्यक सूचना पोर्टल पर दर्ज कर दी गयी है।
बस्ती जिला प्रशासन का पहल
शासन के निर्देश पर बस्ती जिले में अगले 100 दिनों तक छुट्टा पशुओं को पकड़ने का अभियान संचालित करने के लिए जिलाधिकारी श्रीमती सौम्या अग्रवाल ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कैटल कैचर के मूवमेंट का प्रतिदिन कार्ययोजना तैयार करें। प्रत्येक दिन कम से कम 10 छुट्टा पशु पकड़े जाएंगे तथा उनको स्थानीय गौशाला में रखा जाएगा। उन्होंने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया है कि प्रतिदिन पशुओं को पकड़ने की रिपोर्ट शाम को उन्हें उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए ब्लाक पर तैनात पशु चिकित्साधिकारियों को ब्लॉक में नोडल नामित किया जाता है। उन्होंने 14 अपूर्ण गौशालाओं को पूर्ण करा कर दुरुस्त कराने का निर्देश दिया है। इसके अलावा तीन निजी गौशालाओं के प्रबंधकों से वार्ता करके दुरुस्त करने का निर्देश दिया है ताकि वहां भी छुट्टा पशुओं को रखा जा सके। उन्होंने सभी खंड विकास अधिकारियों को निर्देशित किया है कि 13 अप्रैल को अपने क्षेत्र के सभी गौशालाओं का सत्यापन करके रिपोर्ट करें। रिपोर्ट में गौशालाओं की स्थिति, वहां रखे गए पशु की संख्या, भूसा एवं चारे की व्यवस्था का विवरण देना होगा। उन्होंने डीपीआरओ को निर्देशित किया है कि जिन ग्राम पंचायतों में धन की उपलब्धता है तथा गौ सेवकों को अभी तक भुगतान नहीं किया गया है, उसकी सूची 3 दिन में प्रस्तुत करें। साथ ही जिन ग्राम पंचायतों में धन उपलब्ध है तो उनके द्वारा गौ सेवकों को तत्काल भुगतान कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने सभी पशु चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया कि अपने-अपने क्षेत्र में पर्याप्त भूसा की व्यवस्था सुनिश्चित करें। आवश्यकता पड़ने पर पशुओं को इसकी कमी न हो। बैठक में सीडीओ डॉ. राजेश कुमार प्रजापति, सीवीओ डॉक्टर अश्वनी तिवारी, डीपीआरओ एसएस सिंह, सभी खंड विकास अधिकारी, पशु चिकित्सा अधिकारी तथा विभागीय अधिकारी गण उपस्थित रहे।
वास्तविक धरातल पर नहीं दिख रहा प्रयास
उपरोक्त सरकारी योजनाएं और प्रयास केवल कागज और मीटिंग तक सीमित रह गई हैं।आज भी बाजार खेत और गांवों में छुट्टे गोवंश घूमते और फसल नुकसान करते देखे जा सकते हैं।ग्राम प्रधान और सफाई कर्मी को इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। गौशालाएं बदहाल की स्थिति में देखी जा सकती हैं।आम आदमी का सरकार के प्रति गलत नजरिया बन रहा है।यदि इस समस्या का समाधान पूरे मनोयोग से ना हुआ तो आगामी होने वाले चुनाव में इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

प्रस्तुति डा.राधे श्याम द्विवेदी