Saturday, May 18, 2024
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कोविड के बाद अब टीबी को भी टीके से हराने की तैयारी

           विश्व क्षय रोग दिवस पर विशेष

– विश्व में टीबी के सौ से अधिक टीकों पर चल रहा काम, दो पर अपने देश में

बस्ती। भारत को क्षय रोग मुक्त बनाने का प्रयास जारी है। हर स्तर पर गंभीरता के साथ काम चल रहा है। पोलियो व चेचक को वैक्सीन के बल पर समाप्त किया जा चुका है, कोविड पर भी नियन्त्रण टीके के बल पर संभव हुआ है। इस सफलता को देखते हुए अब टीबी के खात्मे के लिए भी कारगर वैक्सीन लाने पर तेजी के साथ काम चल रहा है। दो वैक्सीन पर जहां देश में काम चल रहा है, वहीं 100 से अधिक वैक्सीन पर दूसरे देश काम कर रहे हैं ।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एके मिश्रा का कहना है कि टीके के बल पर ही कई संक्रामक बीमारियों पर जीत हासिल की जा चुकी है। अब टीबी को भी जड़ से ख़त्म करने के लिए वैक्सीन पर काम चल रहा है। टीबी का टीका बैसिल्स कैलमेट गुएरिन (बीसीजी) करीब 100 साल पुराना टीका है जो बच्चों को गंभीर टीबी से बचाता है, जिसमें मिलियरी और टीबी मेनेंजाइटिस के गंभीर रूप शामिल हैं। विश्व में टीबी के 100 से अधिक टीके क्लीनिकल ट्रायल के विभिन्न चरणों में लंबित हैं। हमारे देश में भी आईसीएमआर द्वारा वर्ष 2019 में दो टीकों को प्रयोग के लिए चयनित किया गया था। इनमें वीपीएम 1002- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया और एमआईपी- कैडिला आईसीएमआर शामिल हैं।
वीपीएम 1002 एक रिकम्ब्रनेंट बीसीजी वैक्सीन है, जिसका उपयोग टीबी के रोकथाम के साथ एक्सपोजर प्रोफाइलेक्सिस के लिए भी हो सकेगा। यह टीका एक जरूरी विकल्प है क्योंकि बीसीजी को किसी अन्य टीके के साथ बदलने के बजाय इसी टीके को परिवर्तित करते हुए इसमें सुधार करना ज्यादा उपयोगी होगा । रिकम्ब्रनेंट बीसीजी की विशेषता की वजह से हमारे देश में इसी श्रेणी में एक और वैक्सीन एमटीबीवीएसी पर शोध किया जा रहा है। इसी महीने भारत बायोटेक ने दक्षिण पूर्व एशिया और उपसहारा अफ्रीका के 70 से अधिक देशों में एक नया टीबी का टीका एमटीबीवीएसी के विकास, निर्माण और मार्केटिंग के लिए स्पेनिश बायोफार्मास्युटिकल कम्पनी के साथ साझेदारी की है। यह टीका टीबी के रोकथाम में विश्वसनीय व कारगर साबित हो सकता है।
एमआईपी- कैडिला एक दूसरे प्रकार का टीका है, जिसको निष्क्रिय एमआईपी की कोशिकाओं को गर्म करके विकसित किया गया है। एमआईपी एम लेप्रे और एमटीबी दोनों के साथ एंटीजन को साझा करता है और बीसीजी रेस्पांडर और नान रेस्पांडर स्ट्रेन दोनों में टीबी के खिलाफ पुख्ता सुरक्षा प्रदान करता है ।

लक्षण नजर आयें तो जांच जरूर कराएं
डॉ. मिश्रा ने कहा कि क्षय रोग के प्रति जनजागरूकता और जन सहभागिता बढ़ाने के मकसद से हर साल 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है। दो सप्ताह या अधिक समय से खांसी एवं बुखार आना, वजन में कमी होना, भूख कम लगना, बलगम से खून आना, सीने में दर्द एवं छाती के एक्स-रे में असामान्यता क्षय रोग के प्रमुख लक्षण हैं। क्षय रोग पूरी तरह से साध्य रोग है, जिसका पूरा कोर्स करने से रोगी पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है। क्षय रोग परीक्षण एवं उपचार की सेवाएं प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है।

जांच व उपचार की गुणवत्तर बढ़ाएगा सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
आई डिफीट टीबी प्रोजेक्ट के तहत केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग को उत्तर प्रदेश का पहला सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाया गया है। देश में कुल 15 सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाये गए हैं। केजीएमयू इसके तहत प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज के साथ ही जिला अस्पतालों व सीएचसी-पीएचसी के कर्मचारियों के क्षमतावर्धन का कार्य करेगा, ताकि टीबी की जांच व उपचार को गुणवत्तापूर्ण बनाया जा सके। एमडीआर व एक्सडीआर टीबी के मरीजों को भी बेहतर उपचार मुहैया कराने में भी सहयोग किया जाएगा।