गज़ल
किसी के लब पर दुआ नही है।
हमे किसी से गिला नही है।।
किसे सुनाऊँ मैं दास्तां ये।
कोई यहां पर सगा नही है।।
छिपाऊँ किस से मुझे बता दो।
ख़ुदा से कुछ भी छिपा नही है।।
बड़ा ही नादां है मेरा हमदम।
मैं जानती हूं बुरा नही है।।
सज़ा रखे है हजार सपने।
ये होंगे पूरे पता नही है।।
मक़्ता…
दिखा न पाएगी ऐब “कोमल”।
यहां कोई आईना नही है।।
कोमल गुप्ता
रायबरेली (उत्तर प्रदेश)