Tuesday, December 3, 2024
मनोरंजन

वो औरत जिसे सही मायने में अपनी इज्जत करनी आती थी, ह्यूमन कंप्यूटर शकुंतला देवी की जिंदगी की कहानी

मनोरंजन | इस साल ज्यादातर फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही रिलीज हो रही हैं। इन्हीं फिल्मों में से एक विद्या बालन की फिल्म शकुंतला देवी भी अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गयी है। फिल्म पर बात करने से पहले आपके सामने कुछ सवाल रखना चाहूंगी।

क्या एक औरत को अपने सपनों को पूरा करने का हक नहीं है?

क्या एक मां हमेशा अपनी बेटी के साथ रहने का ख्वाब नहीं देख सकती? 

क्या मां बनने के बाद एक औरत की पूरी जिंदगी मां शब्द पर ही अटक जाती है?

अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए प्यार से अगल होना आप कितना जायज मानते है?

कुछ ऐसे ही सवालों के साथ बनायी गयी हैं शकुंतला देवी फिल्म। फिल्म दुनियाभर में मानव कंप्यूटर के नाम से मशहूर भारत की शकुंतला देवी की जिंदगी पर आधारित है। बहुत ही छोटे-मोटे परिवर्तन के साथ फिल्म को पर्दे पर पेश किया गया है। फिल्म में विद्या बालन ने शकुंतला देवी का किरदार निभाया है और एक बार फिर उन्होंने ये साबित कर दिया है कि वो एक मंझी हुई कलाकार है जिससे टक्कर लेने के लिए दमदार अभिनेताओं को भी कमर कसने की जरुरत होगी, और पापा की परियां(स्टार किड्स) तो थोड़ा दूरी ही बनाए रखें वरना उन्हें सदमा भी लग सकता हैं।

शकुंतला देवी की कहानी

फिल्म की कहानी दक्षिण भारत के एक गांव में रहने वाले एक गरीब परिवार से शुरू होती है। इस घर में दो बेटियां होती है सारदा और शकुंतला। छोटी बेटी शकुंतला में बचपन से ही गणित के क्यूब वाले सवालों को चुटकियों में हल करने का एक अजीब सा टैलेंट होता है। शकुंतला के इस टैलेंट के बारे में जब उसके माता-पिता को पता चलता है तो उसके पिता उसे आस-पास के स्कूलों में गणित का जादूगर बनाकर उसका शो करवाने लगते हैं और उससे पैसे कमाने लगते है। एक दिन शकुंतला की बड़ी बहन सारदा की इलाज के आभाव में मौत हो जाती है। अपनी बहन की मौत कारण वह अपनी मां को मानती है। शकुंतला गणित का शो करते-करते बड़ी हो जाती है। जिंदगी में हुए एक हादसे के कारण शकुंतला को गांव छोड़कर लंदन भागना पड़ता है।

लंदन आने के बाद शकुंतला वहा भी गणित के शो करने लगती है। धीरे-धीरे करके वह दुनियाभर में अपने गणित के मैजिक से गणित के सवालों का कम्प्यूटर से भी तेज और सही जवाब देने लगती हैं। अब शकुंतला किसी भी देश में हफ्ते से ज्यादा नहीं रुकती एक आजाद पंक्षी के तरह वह अपने सपनों को जी रही होती हैं। एक दिन शकुंतला कि जिंदगी में भी प्यार की एंट्री हो जाती हैं। जिस शख्स से शकुंतला को प्यार होता है उसका नाम परितोश (जिशु सेनगुप्ता) होता है। दोनों शादी के बाद कोलकता में शिफ्ट हो जाते हैं शकुंतला की एक बेटी होती है। उसको एक परिवार तो मिल गया था लेकिन उसके सपने पूरे नहीं हुए थे वो काम करना चाहती थी। जिसके लिए वह अपने पति से बात करती है और  फिर लंदन अपने सपनों की दुनियां में वापस चली जाती है। एक दिन शकुंतला को पता चलता है कि उसकी बेटी  उसके सपनों के कारण उससे दूर चली गयी है। वह अपनी बेटी की खुशी के लिए अपने सपनों को छोड़कर एक जगह शिफ्ट हो जाती है। शकुंतला अपनी बेटी से बहुत प्यार करती है इस लिए वह चाहती है कि जिससे भी उसकी बेटी शादी करे वो घर जवाई बनकर रहे लेकिन शकुंतला की बेटी अपनी मां के खिलाफ जाकर शादी कर लेती है। शकुंतला भी काफी जिद्दी है वो अपनी बेटी को इतनी आसानी से नहीं छोड़ती, आगे की स्टोरी के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

फिल्मों के कलाकार, कहानी और डायरेक्शन

फिल्म की कहानी में बिना ज्यादा बदलाव के थोड़ा सा इमोशनल ड्रामा डाल कर पर्दे पर दर्शकों के लिए परोसा गया है। फिल्म में आपको गरीबी के दर्द से लेकर संघर्ष का जीवन और सिर पर चढ़ा अंहकार भी बखूबी देखने को मिलेगा। जिंदगी के इस हर पहलू को विद्या ने अपनी दमदार कलाकारी से बखूबी निभाया है। फिल्म में नारीवाद का भी एंगल दिखाया गया है लेकिन ये वो फेमिनिजस्म नहीं है जिसमें हाथ में शराब लेकर लड़को को गाली दी जाती है बल्कि नारीवाद का सही अर्थ क्या हैं उसे समझाया गया है। नारी मां, पत्नी, बेटी से पहले एक औरत होती है और उसके भी सपने होते है जिसे पूरे करने का उसका हक है इन सपने के आड़े कोई भी रिश्ता नहीं आना चाहिए। अगर औरत खुद की इज्जत करेगी तभी दुनिया उसकी इज्जत करेगी।

फिल्म में विद्या के अलावा जिशु सेनगुप्ता, अमित साध, सान्या मलहोत्रा हैं। इन सभी ने अपने किरदार से न्याय किया हैं। विद्या के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली बेटी की किरदार सान्या ने निभाया है सान्या के चेहरे के एक्सप्रेशन देखने लायक है। उन्होंने दंगल के बाद भी अपनी एक्टिंग पर काफी काम किया हैं। फिल्म के क्लाइमेक्स में थोड़ा बॉलीवुड वाला तड़का डाल दिया गया है। जिसकी वजह से फिल्म ओवर लगती है। लास्ट में विद्या की मां-बेटी की स्पीच की कोई जरुरत नहीं थी क्योंकि डायरेक्टर ने जो दिखाने की कोशिश की थी  वो दर्शकों को आसानी से  समझ में आ रहा है।

फिल्म:  शकुंतला देवी

कलाकार: विद्या बालन, सान्या मल्होत्रा, जिशु सेनगुप्ता, अमित साध

निर्देशक: अनु मेनन

रेटिंग: ****