Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

सामाजसेवी ने सी.एम.ओ.से आशाओं के समस्या समाधान व प्रभारी अधीक्षकों के स्थानांतरण हेतु सौंपा ग्यापन

बस्ती। आज एक बार पुनः समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय(सुदामाजी)ने मुख्यचिकित्साधिकारी बस्ती से भेंट कर आशाबहुओं के बकाये का भुगतान एवं राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली 750 रु० मानदेय वृद्धि के भुगतान सहित अनेक समस्याओं के निदान के साथ साथ हर्रैया सहित तीन वर्ष से अधिक कार्यालय पूर्ण कर चुके जनपद के समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात प्रभारी चिकित्साधिकारियों के स्थानांतरण व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र काशीपुर में तैनात चिकित्सिका डा.नीलम द्वारा निरन्तर चिकित्सा कार्य से विरत रहने हेतु उनपर कठोर विभागीय कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि या तो समस्याओं का त्वरित निदान हो अथवा समुचित कारणों को लिखित रूप से एक सप्ताह के अन्दर अवगत कराया जाय अन्यथा आशाबहुओं के उत्पीड़न व कई वर्षों से तैनात अधीक्षकों की मनमानी को लेकर हम चिकित्सा एवम् स्वास्थ्य मंत्री व माननीय मुख्यमंत्री तक मामले को ले जायेंगे जरूरत पडी तो हम न्यायालय का भी दरवाजा खटखटायेंगें किन्तु हम किसी भी दशा में मनमानी व उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं करेंगें मीडिया से वार्ता करते हुए उन्होंने जिलाधिकारी बस्ती पर दोहरा मापदंड अपनाने व वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां वर्षों से लम्बित मेरे मागों का निष्तारण नहीं किया जा रहा है वहीं बीते 08/11/2019को वार्ता का आश्वासन आज तक पूरा नहीं हुआ जिसको लेकर हमने 01/10/2019से कोविड-29को देखते हुए एकल धरने की अनुमति मांगी किन्तु न तो अनुमति प्रदान किया गया न अनुमति न दिये जाने के कारणों को बताया गया जिसकी जानकारी लेने 01/10/2020को प्रार्थी अकेला घर से निकला तो जहां अन्यान संगठनों द्वारा सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शन होता है वही मुझ अकेले को अपराधियों की तरह भारी पुलिस बल के साथ थान्हाध्यक्ष हर्रैया द्वारा धारा 144व 188का हवाला देकर रोक लिया गया जो कि विधि सम्मत नहीं था फलतः जब मैं प्रसासन के इस कृत्य के विरुद्ध थान्हा परिसर में ही धरने पर बैठ गया तो उपजिलाधिकारी हर्रैया द्वारा वार्ता के क्रम में समस्या समाधान हेतु आज 05/10/2020को जिलाधिकारी बस्ती से वार्ता सुनिश्चित हुआ किन्तु आज भी वार्ता विद्युत विभाग के हडताल का हवाला देते हुए टाल दिया गया उन्होंने कहा कि प्रसासन बताये कि मेरी मांगे विधि सम्मत या जनहित में नहीं हैं क्या ? यदि विधि सम्मत हैं तो उनका निष्तारण क्यों नहीं हो रहा है।