Tuesday, July 2, 2024
साहित्य जगत

सदा ही साथ निभाना

ज़िन्दगी की राह पर चल पड़ी हूं,
जाने ये सफर कहां ले जाए….?
सफ़र कहीं भी ले जाए…,
मंजिल तुम तक ही पहुंचाए।।

वक़्त जहां भी ले जाए ,
साथ सदा ही रहना
टेढ़ी -मेढ़ी पगडंडियों पर
हाथ थामे रखना …..,
सम-बिसम समय हो चाहे
साथ ना छोड़ना कभी…,
मंजिल मिले ना मिले…
राह नहीं बदलना कभी,
मिलों दूर रहो चाहे, जब
मैं ,पुकारुं चले आना…!
साथी मेरे जीवन पथ पर
सदा ही साथ निभाना…!!

आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)