जिसने जन्म लिया है “वर्मा”
उसे एक दिन मरना है।
भांति – भांति के परिवर्तन से,
हमें तनिक ना डरना है।
जो खिलता है फूल चमन में,
उसे कभी मुरझाना है।
सुबह निकलता है जो सूरज,
शाम उसे ढल जाना है।
होता है उत्थान अगर तो,
पतन सुनिश्चित होता है।
जो अपने घमंड में हंसता,
वही एक दिन रोता है।
कोरोना का आज उदय है,
पर कल होगा इसका नाश।
पतझड़ के ही बाद यहां पर,
आएगा “वर्मा” मधुमास।
डॉ. वी. के. वर्मा
चिकित्साधिकारी
जिला चिकित्सालय बस्ती