आधुनिक एंटी-टैंक हथियार है ‘ध्रुवास्त्र’, पलभर में दुश्मन टैंकों के परखच्चे उड़ाने में सक्षम
संपादकीय| भारत और चीन के बीच बढ़ रहे तनाव के दौर में अत्याधुनिक तकनीकों से लैस पांच अत्याधुनिक राफेल विमान भारतीय वायुसेना में विधिवत शामिल हो चुके हैं। शीघ्र ही रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली भी भारत को मिलने वाली है। भारत इजरायल से स्पाइक मिसाइलों के अलावा कुछ और अत्याधनिक मिसाइलें भी खरीद रहा है। ऐसे में भारतीय सेना की ताकत आने वाले दिनों में कई गुना बढ़ जाएगी और हमारी सेना इनके जरिये दुश्मन को आसानी से धूल चटाने में सफल हो सकेगी। सेना के तीनों अंगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए न केवल अमेरिका, रूस, फ्रांस इत्यादि देशों के साथ अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हथियारों के सौदे हो रहे हैं बल्कि मेक इन इंडिया मुहिम के तहत भी सेनाओं को मजबूत करने की कोशिशें निरन्तर जारी हैं।
पाकिस्तान जैसे धूर्त पड़ोसी देशों से लगातार मिल रही चुनौतियों के इस दौर में भारत द्वारा अपनी तीनों सेनाओं को मजबूत किया जाना बेहद जरूरी हो गया है। इसी मिशन के तहत सेना के तीनों अंगों को अत्याधुनिक सैन्य साजो-सामान से सुसज्जित किए जाने के प्रयास निरन्तर जारी हैं। हाल ही में हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में भी भारत ने बहुत लंबी छलांग लगाई है और अब हमारे पास बगैर विदेशी मदद के हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने की क्षमता हो गई है। उम्मीद है कि आगामी पांच वर्षों में भारत स्क्रैमजेट इंजन के साथ हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर सकता है। स्वदेश निर्मित ब्रह्मोस जैसी खतरनाक मिसाइलें पहले से ही सेना का मजबूत हथियार हैं।
पिछले दिनों रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा निर्मित एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ‘ध्रुवास्त्र’ मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया गया। पलक झपकते ही दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त कर देने की विलक्षण क्षमता रखने वाली यह मिसाइल भी पूरी तरह स्वदेश निर्मित है। ‘ध्रुवास्त्र’ पलभर में ही दुश्मन के टैंकों के परखच्चे उड़ा सकती है। उड़ीसा के चांदीपुर स्थित समेकित परीक्षण केन्द्र से ध्रुवास्त्र के सीधा निशाना लगाते हुए तीन सफल परीक्षण किए गए थे और डायरेक्ट तथा टॉप मोड दोनों में सभी परीक्षण सफल रहे। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने अपने टारगेट पर बिल्कुल सटीक निशाना लगाया। जमीन से लांचर से दागकर एंटी टैंक गाइडेड इस मिसाइल के कई महत्वपूर्ण पैरामीटर की जांच की गई और मिसाइल हर कसौटी पर खरी उतरी। ‘फायर एंड फॉरगेट’ सिस्टम पर कार्य करने वाली ‘ध्रुवास्त्र’ भारत की पुरानी मिसाइल ‘नाग हेलीना’ का हेलीकॉप्टर संस्करण है, जिसमें कई नई तकनीकों का समावेश करते हुए इसे आज की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है।
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इस मिसाइल प्रणाली में डीआरडीओ द्वारा एक से बढ़कर एक आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। ध्रुवास्त्र को आसमान से सीधे दागकर दुश्मन के बंकर, बख्तरबंद गाड़ियों और टैंकों को पलभर में ही नष्ट किया जा सकता है। यह मिसाइल दुनिया के सबसे आधुनिक एंटी-टैंक हथियारों में से एक है और इसे हेलीकॉप्टर से लांच किया जा सकता है। डीआरडीओ के मुताबिक ध्रुवास्त्र तीसरी पीढ़ी की ‘दागो और भूल जाओ’ किस्म की टैंक रोधी मिसाइल प्रणाली है, जिसे आधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर पर स्थापित किया गया है। हल्के हेलीकॉप्टर पर स्थापित करने से इसकी मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी। स्वदेश निर्मित इस मिसाइल का नाम पहले ‘नाग’ था, जिसे अब बदलकर ध्रुवास्त्र कर दिया गया है। वास्तव में यह सेना के बेड़े में पहले से शामिल नाग मिसाइल का उन्नत संस्करण है। इसका इस्तेमाल भारतीय सेना के स्वदेश निर्मित अटैक हेलीकॉप्टर ‘ध्रुव’ के साथ किया जाएगा, इसीलिए इसका नाम ‘ध्रुवास्त्र’ रखा गया है। दुश्मन को सबक सिखाने के लिए ध्रुवास्त्र को ध्रुव हेलिकॉप्टर पर तैनात किया जाएगा। हालांकि डीआरडीओ द्वारा फिलहाल जो परीक्षण किए गए हैं, वे बिना हेलिकॉप्टर के ही किए गए हैं।
500 मीटर से 7 किलोमीटर के बीच मारक क्षमता वाली यह बेहद शक्तिशाली स्वदेशी मिसाइल दुश्मन के किसी भी टैंक को देखते ही देखते खत्म करने की ताकत रखती है। हालांकि सात किलोमीटर तक की इस क्षमता को ज्यादा बड़ा नहीं माना जाता लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि धीरे-धीरे इस क्षमता को भी बढ़ाया जाएगा। 230 मीटर प्रति सैकेंड की रफ्तार से लक्ष्य पर निशाना साधने में सक्षम इस मिसाइल की लम्बाई 1.9 मीटर, व्यास 0.16 मीटर और वजन 45 किलोग्राम है। यह मिसाइल दोनों तरह से अपने टारगेट पर हमला करने के अलावा टॉप अटैक मोड में भी कार्य करने में सक्षम है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह दुर्गम स्थानों पर भी दुश्मनों के टैंकों के आसानी से परखच्चे उड़ा सकती है। इस टैंक रोधी मिसाइल प्रणाली में एक तीसरी पीढ़ी की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ‘नाग’ के साथ मिसाइल कैरियर व्हीकल भी है। यह टैंक रोधी मिसाइल प्रणाली हर प्रकार के मौसम में दिन-रात यानी किसी भी समय अपना पराक्रम दिखाने में सक्षम है और न केवल पारम्परिक रक्षा कवच वाले युद्धक टैकों को बल्कि विस्फोटकों से बचाव के लिए कवच वाले टैंकों को भी नेस्तनाबूद कर सकती है।
के लिए डीआरडीओ द्वारा ध्रुवास्त्र जैसी मिसाइलों को तैयार किया जाना सेना और डीआरडीओ की बहुत बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है क्योंकि अब ऐसी आधुनिक मिसाइलों के लिए भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता कम होती जाएगी। पड़ोसी दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई में क्विक रिस्पांस वाली यह स्वदेशी मिसाइल गेमचेंजर साबित हो सकती है। ध्रुवास्त्र चीन के टैंकों को पलभर में ही खाक में मिलाने में सक्षम है और एलएसी पर तैनात चीन के हल्के टैंकों को तो खिलौनों की भांति नेस्तनाबूद कर देगी। स्वदेशी हेलीकॉप्टर ध्रुव में फिट होने के बाद यह मिसाइल दुश्मन के टैंकों के लिए काल बन जाएगी और इस तरह जमीनी लड़ाई का रूख बदलने में अहम भूमिका निभाने के कारण यह भारतीय सेना के लिए बेहद कारगर साबित होगी। रक्षा विशेषज्ञ ध्रुवास्त्र की विशेषताओं को देखते हुए इसे भारत के ब्रह्मास्त्र की संज्ञा भी दे रहे हैं। भारतीय सेना में इसके शामिल होने के बाद उम्मीद की जा रही है कि इससे न केवल सीमा पर डटी चीनी सेना के मुकाबले हमारी सेना की क्षमताओं में काफी बढ़ोतरी होगी बल्कि मेक इन इंडिया मुहिम के तहत निर्मित ऐसे खतरनाक और अत्याधुनिक हथियारों के बलबूते भारतीय सेना का हौसला भी काफी बढ़ेगा।