विनीत जायसवाल को हाथरस जिले की कमान
गोरखपुर : हाथरस जिले में हुई घटना के बाद शासन ने शुक्रवार की देर शाम वहां के एसपी सहित अन्य पुलिस अधिकारियों को हटा दिया। गोरखपुर के मूल निवासी विनीत जायसवाल की बतौर एसपी तैनाती की गई है। कई जिलों में एक युवा आईपीएस अफसर की अगुवाई में अपराध मुक्त अभियान आगे बढ़ा है। खाकी वर्दी का असर विनीत जायसवाल पर बचपन से ही रहा है, यही कारण है कि वह मैनेजमेंट और इंजीनियर के क्षेत्र में अच्छे अवसरों को छोड़कर पुलिस विभाग में सेवा के क्षेत्र में उतरकर समाज को अपराधमुक्त बनाने का लक्ष्य लेकर अग्रसर रहते हैं। आईपीएस विनीत जायसवाल के जीवन से खाकी वर्दी को लेकर कई संयोग जुड़े हैं। सबसे पहले तो उनको उनके पिता के जीवन से सर्वाधिक रूप से प्रभावित किया है। उनके पिता राधेश्याम जायसवाल जेल अधीक्षक रहे हैं। उनका बचपन जेल और खाकी के बीच के माहौल में कर्तव्य पारायणता और ड्यूटी के प्रति कर्मठता को देखते हुए गुजरा है। साल 2014 बैच के आईपीएस विनीत जायसवाल एक जुझारू अफसर हैं। उनके जुझारूपन का प्रमाण यही है कि उन्होंने अपनी शिक्षा के दौरान ही पिता की भांति खाकी वर्दी को लक्ष्य बनाया था। उन्होंने सिविल सर्विस में जाने की इच्छा को लेकर काम किया और कई बाद की नाकामी के बाद भी वह हतोत्साहित नहीं हुए, बल्कि हर एक नाकामी के बाद उन्होंने नई ऊर्जा के साथ खुद को आगे बढ़ाने का काम किया। स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद विनीत जायसवाल ने तकनीकी सेवा और सुझाव देने वाली भारतीय मल्टीनेशनल कम्पनी इंफोसिस को एक कम्प्यूटर साइंस के बेचलर टेक्निशियन के रूप में ज्वाइन किया। इसी बीच आईआईएम, केरल में भी उनका चयन हो गया था, लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट में दक्षता हासिल करने के बजाये पिता की भांति ही सेवा के मार्ग को चुना। उन्होंने सिविल सर्विस में जाने के अपने ड्रीम को पूरा करने के लिए साल 2011 से शुरूआत की।
विनीत जायसवाल मजबूत तैयारी के बाद भी पहले प्रयास में सफल नहीं हो पाए, लेकिन इसके बाद भी वह मजबूत इरादों के साथ नये लक्ष्य को लेकर फिर से तैयारी में जुटे, उनका यह प्रयास भी पराजय लेकर आया। दो बार की हार के बाद भी विनीत जायसवाल का आत्मविश्वास कम नहीं हुआ और साल 2013 में उन्होंने सिविल सर्विस एग्जाम को ब्रेक किया। विनीत की इस जुझारू सफलता पर परिवार को गर्व हुआ। कानून व्यवस्था आईपीएस विनीत जायसवाल के खाकी प्रेम में एक तीसरा संयोग यह भी जुड़ा कि जिस जिले में उन्होंने शिक्षा हासिल की, वहीं पर उनको अफसर के रूप में कार्यरत रहकर कानून व्यवस्था को संभालने का अवसर मिला। पिता राधेश्याम जायसवाल के सर्विस जीवन से ही विनीत के भीतर वर्दी का प्यार जगा था। उन्होंने अपने पिता के अनुशासित जीवन से खुद के अन्दर लक्ष्य हासिल करने और नाकामियों से ना घबराने का हौसला पैदा किया। विनीत जायसवाल की स्कूली शिक्षा पिता के सर्विस में रहने के कारण स्थानांतरण के चलते वाराणसी और कानपुर जनपदों में पूर्ण हुई। इसके बाद 2010 में नोएडा के जेएसएस काॅलेज से विनीत ने कम्प्यूटर साइंस विषय के साथ बी.टेक किया। इसके साथ ही वह मैनेजमेंट के क्षेत्र में भी दक्षता हासिल करने का मन बना रहे थे, इसके दिये दिये गये इंट्रेंस एग्जाम के बाद उनका चयन आईआईएम केरल के लिए किया गया, लेकिन नोएडा से बी.टेक करने के दौरान कभी विनीत ने सोचा भी नहीं था कि उनका जीवन करियर की राह पर ऐसा भी मोड लेगा कि वह एक आईपीएस अफसर के रूप में उसी नोएडा में तैनात रहकर कानून व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने के लिए कार्य करेंगे, जहां उन्होंने अपना छात्र जीवन बिताया था। आईपीएस विनीत जायसवाल कहते हैं, “पुलिस सर्विस भी एक मैनेजमेंट है, यहां पर अपराधियों को कानून व्यवस्था का फाॅर्मूला लगाते हुए भयमुक्त समाज के लिए प्रबंधन ही गुड पुलिसिंग है। समाज के लोगों से भी पुलिस के प्रति सकारात्मक सोच के साथ सहयोग की अपील की।