गर्भवती को मिलती हैं सुविधाएं, नजदीकी सरकारी अस्पताल में ही आएं
– निःशुल्क इलाज के साथ ही पोषण के लिए भी मिलती है सहयोग राशि
संतकबीरनगर।(कालिन्दी मिश्रा) जिले की हर गर्भवती को पोषण के साथ ही निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। गर्भ धारण करने के साथ ही गर्भवती का पंजीकरण करके उसके पोषण व स्वास्थ्य का पूरा खयाल रखा जाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि हर गर्भवती अपना पंजीकरण अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में कराए । आशा कार्यकर्ता भी गर्भवती को कहीं अन्यत्र न ले जाएं बल्कि एएनएम सब सेण्टर या अस्पताल पर ही लाएं। आशा कार्यकर्ता को सिर्फ सरकारी अस्पताल में ही गर्भवती को लाने का दिशा-निर्देश है।
यह जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा धिकारी डॉ. इन्द्रविजय विश्वकर्मा ने बताया कि जिले की किसी भी गर्भवती को इधर उधर भटकने की जरुरत नहीं है। वह अपने गांव या शहरी क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता के सम्पर्क में आए और अपना पंजीकरण अवश्य कराए। गर्भवती के इलाज व सुरक्षित प्रसव के लिए मातृ शिशु कल्याण केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व जिला अस्पताल में उचित सुविधाएं है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के अंतर्गत जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य संबंधी विशिष्ट शर्तों की पूर्ति पर परिवार में पहले जीवित बच्चे के लिए गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के खाते में सीधे 5,000 रुपये की राशि प्रोत्साहन स्वरुप प्रदान की जाती है। जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण इलाके की गर्भवती को 1,400 रुपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं एक हजार रुपये दिए जाते हैं। इसलिए गर्भवती प्राइवेट चिकित्सालयों के बजाय सरकारी अस्पताल में ही अपना प्रसव कराएं।
हर माह की नौ तारीख को सुरक्षित मातृत्व दिवस
जिले में हर महीने की नौ तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस अभियान का आयोजन किया जाता है। इस दौरान प्रथम त्रैमास में हर गर्भवती की जांच चिकित्सक की देख रेख में होती है । अस्पतालों में ब्लड, यूरिन, ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच करने के साथ ही आवश्यक दवाइयां निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती है । आवश्यकता पड़ने पर उसका अल्ट्रासाउण्ड भी किया जाता है। इस दौरान जटिल प्रसव वाली महिलाओं का चिन्हीकरण भी किया जाता है।
विनीता को मिलीं सुविधाएं, स्वस्थ हुआ बच्चा
खलीलाबाद क्षेत्र के धमरजा ( बेलराई ) निवासी विनीता चौरसिया बताती हैं कि उन्होनें गर्भावस्था के दौरान गांव की आशा कार्यकर्ता से सम्पर्क किया। कार्यकर्ता ने उनका पंजीकरण कराया तथा आवश्यक जांच आदि कराईं । वह उन्हें लेकर सब सेंटर गईं। पांचवे महीने में उनका चेकअप जिला संयुक्त चिकित्सालय में हुआ। संयुक्त जिला चिकित्सालय में उन्हें नार्मल डिलीवरी हुई। नार्मल डिलिवरी के दौरान ही उन्हें एक स्वस्थ बच्चा पैदा हुआ था। बच्चे के जन्म के दौरान उनके खाते में 3000 रुपए की पहली किश्त आई। इसके बाद अगली किश्त आएगी। नियमित जांच और समय समय पर परामर्श का ही नतीजा था कि नार्मल डिलिवरी हुई और उन्हें इसके लिए कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ा। यही नहीं एम्बुलेंस के जरिए वह मुफ्त में जिला चिकित्सालय आईं। इसके साथ ही उन्हें दो दिन बाद डिस्चार्ज किया गया तो एम्बुलेंस के जरिए घर भी पहुंचाया गया। आज वह और उनका बच्चा दोनों ही स्वस्थ हैं।