इलाज के लिए कैम्प में आए 80 मानसिक रोगी
– विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में हुआ आयोजन
बस्ती। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में जिला अस्पताल परिसर में नि:शुल्क विशाल मानसिक स्वास्थ्य जन जागरूकता व उपचार शिविर का आयोजन बुधवार को किया गया। शिविर में 80 से ज्यादा मानसिक रोगियों ने अपना पंजीकरण कराया, जिन्हें परामर्श के साथ ही इलाज की भी सुविधा मिली । शिविर में क्षय रोग, कुष्ठ रोग, किशोर स्वास्थ्य, गैर संचारी रोग कार्यक्रम (एनसीडी) विभाग सहित अन्य विभागों की ओर से स्टॉल लगाया गया था । वहां आने वालों को स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी गयी ।
मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी, सीडीओ डॉ. राजेश कुमार प्रजापति, सीएमओ डॉ. एके श्रीवास्तव, एसीएमओ डॉ. एफ हुसैन, डॉ. सीएल कन्नौजिया, डॉ. एके गुप्ता, एनसीडी कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. सीके वर्मा ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। जीजीआईसी की छात्राओं ने सरस्वती वंदना व स्वागत गीत प्रस्तुत किया।
जिला मानसिक स्वास्थ्य इकाई के मनोरोग चिकित्सक डॉ. एके दूबे ने कहा कि वर्ष 1982 में केंद्र सरकार द्वारा स्वास्थ्य कार्यक्रमों में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को शामिल किया गया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) स्तर तक इसका लाभ पहुंचाने के लिए 1996 में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत हुई। वर्ष 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम लागू किया गया। अब हर व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच का अधिकार है। हर व्यक्ति को गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि रोग को कभी छिपाएं नहीं तथा पौष्टिक आहार, व्यायाम व स्वस्थ वातावरण बनाकर मानसिक बीमारियों से बचा जा सकता है। इस अवसर पर डॉ. राकेश मणि त्रिपाठी, आनंद गौरव शुक्ला, डॉ. राकेश कुमार, विष्णु कुमार और कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) फरजाना प्रमुख तौर पर मौजूद रहे l
—
इन्हें किया गया सम्मानित
कार्यक्रम में डॉ. एफ हुसैन को कोविड प्रबंधन, डॉ. राकेश कुमार को मानसिक काउंसिलिंग, आनंद गौरव शुक्ला को एनसीडी प्रबंधन व एनएचएम के जिला प्रबंधक राकेश पांडेय को एनएचएम के कार्यक्रमों में बेहतर प्रबंधन के लिए सम्मानित किया गया।
—
मानसिक रोग के हैं यह लक्षण
– क्षमता से अधिक बड़ी-बड़ी बातें करना।
– नींद न आना, बीच में नींद का टूट जाना।
– उलझन, घबराहट, चिड़चिड़ापन रहना।
– अनावश्यक एवं अत्यधिक बातें करना।
– बेवजह शक करना, गुस्सा मारपीट करना।
– मिर्गी, बेहोशी जैसे दौरे का आना।
– एक ही कार्य बार-बार अनावश्यक रूप से करना।
– उम्र के साथ-साथ याददाश्त की कमी होना।
– जीवन के प्रति निराश रहना एवं आत्महत्या के विचार आना।
– भूत, प्रेत, जिन्न आदि की छाया का भ्रम होना।
– बच्चों में बौद्धिक क्षमता में कमी होना।
—