Tuesday, April 29, 2025
साहित्य जगत

वंचित नहीं मैं इश्क़ से,इश्क़ के बाजार में…

वंचित नहीं मैं इश्क़ से,इश्क़ के बाजार में,
करता नहीं मोल भाव दो दिलों के प्यार में।

डूब जाते हैं इस क़दर आज के आशिक़,
मैं यूं नहीं उलझता अपने इश्क़ के राह में।

वंचित न रहना इस मोहब्बत की रुख़ से,
सच्ची सुकून मिलती है इश्क़ और प्यार में।

स्वप्न देखने से सच होता नहीं मोहब्बत,
हकीकत में रूबरू होना पड़ता है इश्क़ के तकरार में।

ये कोई दास्तां नहीं सच बयां करता है आशीष,
रंग रूप में संवर जाना मोहब्बत के करार में

आशीष प्रताप साहनी
भीवा पार भानपुर बस्ती
उत्तर प्रदेश 272194
8652759126