Saturday, April 20, 2024
साक्षात्कार

पंचायत चुनाव में मृत कार्मिक परिवारों को आर्थिक सहायता देना सराहनीय:संजय द्विवेदी

▪️न्यायालय के चक्रव्यूह में फंसे तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करें सरकार

▪️वित्तविहीन शिक्षकों को सम्मानजनक वेतन देकर नियमावली निर्गत करे सरकार

▪️केंद्र की भांति राज्य कर्मचारियों को बढ़े हुए डीए का एरियर सहित भुगतान करें सरकार

पूर्वांचल में शिक्षकों की आवाज बनकर उभरे युवा नेता व उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के मंडलीय मंत्री संजय द्विवेदी ने हमसे खास बातचीत की। बातचीत के दौरान श्री द्विवेदी ने सभी प्रश्नों का बेबाकी से जवाब दिया। उसके कुछ अंश आपके अवलोकनार्थ प्रेषित है।

सवाल-त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ड्यूटी पर गए कर्मचारियों की कोविड-19 से मृत्यु प्रकरण में आप काफी हो-हल्ला कर रहे थे। आप पूरे प्रकरण को किस नजरिये से देखते हैं।*

जबाब-प्रदेश की योगी सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मृत 2020 कार्मिकों के आश्रित परिवारों को 30 हजार रूपए की आर्थिक सहायता मुहैया कराने की सूची निर्गत की है। हमारा संघर्ष रंग लाया, संघ पीड़ित परिवारों की मद्त के लिए सरकार को विवश किया। हम इसके लिए प्रदेश सरकार के आभारी हैं। इस संदर्भ में हमारा स्पष्ट मानना था कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए त्रिस्तरीय पंचायत को कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया होता तो ये 2020 कार्मिक आज अपने परिवार के बीच होते। लेकिन इलेक्शन कमिशन की जिद के आगे कर्मचारियों की एक नहीं सुनी गई और परिणाम आपके सामने है।

▪️ *सवाल-पुरानी पेंशन योजना व नवीन पेंशन योजना को लेकर आप क्या कहेंगे।*

जबाब-पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों के बुढापे का सहारा थी, किन्तु उसे बंद कर कर्मचारियों के साथ अन्याय किया गया है। नवीन पेंशन योजना अनिश्चित, अलाभकारी, निवेशित योजना है। कर्मचारी एनपीएस को लेकर भ्रम की स्थिति में है, और अपने भविष्य को लेकर चिन्तित है। अतः सरकार को पुनः पुरानी पेंशन योजना लागू कर उनके विश्वास को जीतना चाहिए।

▪️ *सवाल-प्रदेश में अद्यतन कार्यरत तदर्थ शिक्षक विनियमित नही हो पाए,उनके भविष्य के वारे में आप क्या कहेंगे।*

जबाब-अद्यतन कार्यरत तदर्थ शिक्षक न्यायालय के चक्रव्यूह में फंस गए हैं। चयन आयोग की परीक्षा पास करना इनके बस की बात नही है। सरकार को मानवीय दृष्टिकोण अपनाकर सभी शिक्षकों को विनियमित कर देना चाहिए, अन्यथा इनका परिवार तबाह हो जाएगा।

▪️ *सवाल-कोरोना काल में वित्तविहीन शिक्षकों का बुरा हाल है, आप इस संदर्भ में क्या सोचतें है।*

जबाब-कोरोना काल में प्रदेश के 25 हजार माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत 5 लाख से अधिक शिक्षक भुखमरी के कगार पर पहुँच गए। सरकार 15 हजार रुपये मानदेय देने व सेवा नियमावली निर्गत करने का वादा की थी, किन्तु सरकार अपने वादे से मुकर गई। हमारी स्पष्ठ मांग है कि मान्यता की धारा 7क (क) को 7(4) में परिवर्तित कर दिया जाय, और इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की सेवा नियमावली निर्मित करते हुए पांच अंकों में सम्मानजनक मानदेय बैंक के माध्यम दिया जाय।

▪️ *सवाल-सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को चिकित्सकीय सुविधा देने का क्या मामला है।*

जबाब-सरकार राज्य कर्मचारियों को चिकित्सीय सुविधा प्रदान कर रही है। हम उन्ही की भांति सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के लिए भी चिकित्सकीय सुविधा मांग रहे हैं। सरकार को उदारता का परिचय देते हुए हमारी मांग मान लेनी चाहिए।

▪️ *सवाल-शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर आपका क्या विचार है।*

जबाब-बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की जड़े बड़ी गहरी हैं। आज भी इनके कार्यालयों में अधिकारी-बाबू बिना रिश्वत लिए काम नही कर रहे हैं। पदोन्नति, चयन वेतनमान, प्रोन्नत वेतनमान, एरियर, पेंशन ,जीपीएफ आश्रित नियुक्ति के प्रकरण बिना रिश्वत लिए नहीं निपटाए जा रहे है। दुर्भाग्य पूर्ण है कि सरकार का इस पर कोई अंकुश नही है।

▪️ *सवाल-माध्यमिक शिक्षा में नई स्थान स्थानांतरण नीति को लेकर क्या क्या कठिनाई आ रही है।*

जबाब- नई स्थानांतरण नीति में कई प्रकार की तकनीकी खामियां हैं। अधिकांश शिक्षकों की पत्रावलियों पर प्रबंधक एनओसी नहीं दे रहे हैं। स्थानांतरण के नाम पर विद्यालय से लेकर कार्यालय तक रिश्वत मांगी जा रही है। सरकार को स्थानांतरण के लिए पारदर्शी व्यवस्था बनाने के लिए कड़े नियम बनाने होंगे। विभाग को अधियाचित व विज्ञापित पदों पर भी स्थानांतरण के इच्छुक शिक्षकों को अवसर देना चाहिए।

▪️ *सवाल-केंद्र व राज्य सरकार ने कर्मचारियों के महगाई भत्ते को 18 माह से फ्रिज कर रखा है, आप इस निर्णय को आप किस रूप में देखते है।*

जबाब-कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है। देश व सरकार संकट में थी, ऐसे में डीए को फ्रिज करने पर कर्मचारियों को कोई आपत्ति नही थी, किन्तु अब सब कुछ सामान्य हो गया तो केंद्र सरकार की भांति राज्य कर्मचारियों को 28 प्रतिशत डीए जुलाई 2021 के वेतन के साथ तुरन्त भुगतान करना चहुये, और 18 महीने का बकाया डीए नकद ना देकर जीपीएफ या एनपीएस फंड में जमा कर देना चाहिए। ऐसा करने से कर्मचारी संगठन सरकार का सहयोग करें।