किसानो के लिए नए युग की शुरूआत , किसानो को टाटा बाटा की तरह फसल का रेट तय करने का मिला अधिकार : बराला
जाखल | इन्दु/नवीन बंसल (राजनीतिक संपादक) कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा कृषि से संबंधित पारित तीनो अध्यादेश को सता में आने पर लागू करने वायदा था लेकिन आज भाजपा नेतृत्व की एनडीए सरकार जब किसानो के हितो को देखते हुए इसे लागू करना चाहती है कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी नेता किसानो को गुमराह कर रहे है यह बात भाजपा के पूर्व हरियाणा अध्यक्ष सुभाष बराला में पत्रकारो से बात करते हुए कही । गांव म्योंद कलां में उन्होंने कहा कि कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020, किसानों (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं अध्यादेश, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, ये तीनों अध्यादेश किसानो की वर्षों से फसल के दाम खुद किसान तय करे की मांग को जहां पूरा करते है वही किसान को अपनी फसल किसी को भी कहीं भी बेचने का अधिकार देती है । बराला ने कहा कि किसान नेता और किसान हितैषी मंचो पर आवाज़ उठाते रहे है कि जब टाटा बाटा अपनी उत्पादो के भाव खुद तय करता है तो किसान अपनी फसल का रेट खुद क्यो नही तय कर सकता ? उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्रीमंडल द्वारा पारित तीनो अध्यादेश किसानो को टाटा बाटा की तरह ही अपनी फसल का मूल्य तय करने का अधिकार देते है यही नही बराला ने कहा कि किसानो की आर्थिक हालत सुधारने में सरकार का यह कदम क्रांतिकारी कदम साबित होगा i बराला ने कहा कि जहां तक किसानो कि मंडियां खत्म व न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने को लेकर शंका है इसको लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर प्रदेश के किसानो और आढ़तियो को भरोसा दिला चुके है कि ना तो मंडिया खत्म होगी ना ही न्यूनतम समर्थन मूल्य । पूर्व विधायक ने कहा कि अध्यादेशो से किसान के लिए नए युग की शुरूआत होगी उन्होंने कहा कि मंडियों में व्यापारियों की संख्या कम होती जा रही है, जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा नहीं हो पाती, नतीजतन किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। कानूनन किसान अपने उत्पाद बाहर खुले में नहीं बेच सकते थे, इसलिए वे मंडी के व्यापारियों के मोहताज बन जाते थे। बराला ने कहा कि तीनो अध्यादेश इतने महत्वपूर्ण है कि ये अध्यादेश कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 किसानों को अपने उत्पाद कहीं भी बेचने की आजादी देता है। यह अध्यादेश कृषि उपज की ऑनलाइन खरीद-बिक्री को भी मान्यता देता है और राज्य सरकारों को किसानों, व्यापारियों और इलेक्ट्रॉनिक व्यापार प्लेटफार्मों से किसी भी तरह के लेवी, मंडी शुल्क या उपकर लेने से भी रोकता है।*
भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने दावा किया है कि ये किसानों, व्यापारियों और आम उपभोक्ताओं को कृषि उत्पाद बेचने, खरीदने, भंडारण और परिवहन करने जैसी गतिविधियों में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए व्यापक लोकहित में उठाए गए कदम हैं। उन्होंने कहा कि इनके जरिये किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा, कृषि उपज मंडी समितियों का एकाधिकार खत्म होगा एवं व्यापारियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। इससे कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री में कुशलता, पारदर्शिता और बाधा-रहित व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा।