कवियों ने ढूढ लिये नये रास्तेः अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ को राष्ट्र भाषा गौरव सम्मान
बस्ती । कोरोना संक्रमण काल ने साहित्यिक गतिविधियों की धारा को जहां कमजोर किया है, कवि सम्मेलनों, संगोष्ठियों के सिलसिले ठप हैं वहीं ऑन लाइन पर सवार होकर साहित्यकारों ने एक नया संसार बसा लिया है जिससे देशों की दूरियां सिमट गई हैं। अनेक संस्थान ऑन लाइन कवि सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं। इसी कड़ी में अनुराधा प्रकाशन की ओर से आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में बस्ती के कवि डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ को राष्ट्र भाषा गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।
‘बस कुआंनो बह रही है’ के रचयिता डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ ने बताया कि ऑन लाइन की दुनियां विश्वव्यापी है और नये अनुभव, विचार प्राप्त हो रहे हैं। कोरोना संकट ने साहित्यिक विमर्श को अन्तर्राष्ट्रीय आकार दिया है जिसमें विश्व के अनेक देशों के रचनाकार अपनी रचनाओं, विमर्श को साझा करते हैं। आने वाले दिनों में यह एक प्रभावी, अनिवार्य माध्यम बनकर उभरेगा। बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में 5 साझा काव्य संकलन का विमोचन विद्वान साहित्यकारों ने किया। डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ को राष्ट्र भाषा गौरव सम्मान से सम्मानित किये जाने पर सत्येन्द्रनाथ मतवाला, डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ श्याम प्रकाश शर्मा, विनोद उपाध्याय ‘हर्षित’, डा. राममूर्ति चौधरी, डा. अजीत श्रीवास्तव, रामचन्द्र राजा, दीपक सिंह प्रेमी, जगदम्बा प्रसाद भावुक, आदि ने प्रसन्नता व्यक्त किया है।