Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

मन के रुख से हट गया भ्रम…….

मन के रुख से हट गया भ्रम का आज नकाब
मुझको मेरे प्रश्न का खुद मिल गया जवाब|
जब मन में है कालिमा नहीं मिलेगी शान्ति
दर्पण में मुख देखिए कहां रही वह कान्ति|
सिवा मुहब्बत के नहीं कुछ भी अपने पास
इसीलिए रहता सदा अन्तस में उल्लास|
सोच समझ रखिए कदम यह शोहदों का गॉव
यौवन के दहलीज पर फिसल न जाए पॉव|
जिस क्षण अपने आप को तुम लोगे पहचान
उस क्षण परमानन्द का होगा तुमको भान|
(अतीत के झरोखे से)
डॉ. राम कृष्ण लाल जगमग