Sunday, July 7, 2024
बस्ती मण्डल

संतकबीरनगर-जितेन्द्र पाठक| जिले की एक ऐसी शख्सियत जिसने हर क्षेत्र मे अपनी प्रतिभा का डंका बजाया शिक्षा के बाद समाजसेवी डॉक्टर उदय अब राजनीतिक क्षेत्र में अपना कदम रख चुके है और पंचायत और जिला पंचायत चुनाव में रिंग मास्टर बन उभर कर सामने आएंगे। शिक्षा के क्षेत्र मे जब इस युवा आईकान का प्रादुर्भाव हुआ तो उच्च शिक्षा से लगायत आधुनिक शिक्षा मे अपने प्रतिद्वन्दियों को धूल चटाते हुए शैक्षणिक संस्थानों को सफलता के शिखर पर पहुंचा कर ही दम लिया। सूर्या सीनियर सेकेंडरी इण्टरनेशनल एकेडमी जैसा सीबीएसई पैटर्न संस्थान हो या फिर उच्च और रोजगार परक जैसे दर्जनों शैक्षणिक संस्थान, आज इस अद्भुत शख्सियत की निष्ठा, कर्तव्य परायणता और तत्परता से वे सूफी संत की धरती के शिरोमणि साबित हो रहे हैं। कबीर की धरती को मां सरस्वती के आंचल की खुशबू से सराबोर करने मे जुटे पूर्वांचल के मालवीय स्व पं सूर्य नारायण चतुर्वेदी के बड़े सुपुत्र डा उदय प्रताप चतुर्वेदी का ध्यान कोरोना जैसे वैश्विक वायरस ने यूं ही समाजसेवा मे लीन नही कर दिया। कोरोना संकट के चलते जब मार्च के अंतिम सप्ताह से देशव्यापी लाकडाउन शुरू हुआ तो गरीब, दिहाड़ी मजदूर, जरूरतमंद परिवारों की बद्तर हुई दिनचर्या को देख मां सरस्वती का यह सपूत भी द्रवित हो उठा। फिर शुरू हुआ जरूरत मंदों के कुनबों तक पहुंचने का सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है। कोरोना के फैलते वायरसी चंगुल से बेपरवाह यह युवा दिन रात लोगों के घरों तक जरूरत के सामान पहुंचा कर समाज के लिए देवदूत बन बैठा। लाकडाउन ने न सिर्फ गरीब परिवारों का निवाला छीना बल्कि उनके परिवारों पर छाये प्रकृति के आफत ने इन्सानी जिन्दगियों के साथ परिवारों की खुशियां भी छीन लिया। सैकडों मजलूमों और अपनों को गंवा बैठे परिवारों के दर्द को महसूस करते हुए उनके अंतिम संस्कार से लगायत ब्रह्मभोज निपटाने तक के लिए डा चतुर्वेदी ने खुद को अपने संसाधनों के साथ समर्पित कर दिया। अनाथ आश्रम के बच्चों से लगायत मां बाप के प्यार से वंचित हुए तरयापार के अबोध बच्चों की देख रेख से लेकर उनकी मुफ्त शिक्षा का जिम्मा उठाकर खुद की संवेदनशीलता का नायाब उदाहरण प्रस्तुत किया है। डा चतुर्वेदी की संवेदनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा ने कबीर की मिट्टी के हर कण मे उनकी समाजसेवा का उत्कृष्ट नमूना घोल कर हर जुबां पर उन्हे विराजमान कर दिया। शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र मे सूफी नगर का अग्रदूत बन बैठे डा चतुर्वेदी ने हालांकि कभी किसी भी सार्वजनिक मंच या कार्यक्रम मे सियासत से नाता जोड़ने का उल्लेख नही किया लेकिन हर गली से राजनीति को स्वच्छ और सेवा भाव के सांचे मे ढालने की जन मानस की आंखों से झांकती आस डा चतुर्वेदी पर राजनीति मे पदार्पण का दवाब बना रही है। डा चतुर्वेदी से जुडे करीबी सूत्रों के दावों पर गौर करें तो आगामी पंचायत चुनाव डा चतुर्वेदी के राजनैतिक आगाज की पहली प्रयोगशाला साबित हो सकता है। जिले के कोने कोने मे त्यौहारों और पर्वों पर दिये जाने वाले बधाई संदेशों से पटे पड़े बैनर सूत्रों के दावों को बल भी प्रदान कर रहे हैं। देखने वाली बात यह है कि शिक्षा के साथ ही समाज के दबे कुचले तबके के दिलों से गुजरता यह युवा व्यक्तित्व पंचायत चुनाव के रिंग मास्टर की कुर्सी पर विराजमान होने की अपने मंशा की उद्घोषणा कब और किस अंदाज मे करता है? फिलहाल आम लोगों का मानना है कि डा चतुर्वेदी ने जिस कार्यशैली के तहत शिक्षा और समाजसेवा मे खुद को नये अंदाज मे प्रस्तुत किया है यदि सियासत की पिच पर उनकी बैटिंग का यही अंदाज बना रहा तो आने वाले दिनों मे यह युवा कबीर की धरती पर सियासत का बाजीगर बन कर जरूर उभरेगा।