Sunday, May 19, 2024
हेल्थ

होम आईसोलेशन वाले मरीजों में दवा वितरण के लिए को चला अभियान

– छूटे हुए मरीजों तक शत-प्रतिशत पहुंचाई जा रही दवाएं

बस्ती। होम आईसोलेशन में रह रहे कोविड के मरीजों तक दवा पहुंचाने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। शासन ने इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब तक छूटे हुए मरीजों तक शत-प्रतिशत दवाएं पहुंचाई जाएंगी।
कोविड जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) मरीज से संपर्क कर उसकी हालत के बारे में जानकारी लेती है। अगर उसमें कोरोना के लक्षण नहीं है या माइल्ड सिम्प्टम्स हैं तो टीम उसे होम आईसोलेशन की सुविधा प्रदान कर सकती है। इसके लिए मरीज के घर में सुविधा होनी चाहिए। टीम द्वारा मरीज को दवा उपलब्ध करा कर परामर्श दिया जाता है।
इस समय बड़ी संख्या में कोविड के केस सामने आ रहे हैं, होम आईसोलेशन वाले मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। संसाधन व टीम की संख्या सीमित होने के कारण मरीज तक समय से दवाओं को पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। कई मरीज बिना दवा के रह जा रहे हैं।
शासन ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए मरीजों तक दवा पहुंचाने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है। कहा गया है कि फार्मासिस्ट्स की टीम लगाकर बड़ी संख्या में दवाओं की किट तैयार करा ली जाए। स्टॉफ व वाहनों की संख्या बढ़ाकर छूटे हुए सभी मरीजों तक दवाएं पहुंचा दी जाएं। इसके बाद प्रतिदिन जितने मरीज निकलते हैं, उन तक रोज दवाएं उपलब्ध करा दी जाएं। नगरीय स्वास्थ्य मिशन के प्रभारी नोडल ऑफिसर डॉ. अजय कुमार ने बताया कि होम आईसोलेशन वाले सभी मरीजों तक दवा पहुंचाने के लिए टीम की संख्या में इजाफा किया गया है। इसके बाद नियमित रूप से दवाएं पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।

दवा वितरण में आशा की ली जाए मदद
शासन की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि दवा वितरण में आशा कार्यकर्ता की भी मदद ली जाए। आशा कार्यकर्ता की मदद से उनके क्षेत्र वाले मरीजों तक दवा पहुंचाना आसान हो जाएगा। कोविड मरीजों के होम आईसोलेशन में रहने के दौरान आशा द्वारा मरीजों पर नजर रखी जाती है तथा मरीज का समय-समय पर हाल-चाल भी लिया जाता है। आशा के जरिए दवा वितरण कराना काफी आसान हो सकता है।

होम आईसोलेशन में हैं 837 मरीज
कोरोना के 837 गैर उपचारित ऐसे मरीज हैं, जिन्हें होम आईसोलेशन की सुविधा दी गयी की फैसिलिटी एलॉट की गई है। यह मरीज नगरीय क्षेत्र से लेकर गांव व कस्बों तक में हैं। ब्लॉकों में सक्रिय आरआरटी इन पर नजर रखती है, तथा इन्हें दवाएं उपलब्ध कराती है। तबियत खराब होने पर मरीज को अस्पताल भिजवाने का प्रबंध करती है। मरीज के ठीक होने की दशा में आरआरटी द्वारा डिस्चार्ज किया जाता है।