Saturday, November 9, 2024
धर्मव्रत/त्यौहार

पितरों की मुक्ति की कामना के लिए किया जाता है इंदिरा एकादशी व्रत

पितृपक्ष में आने वाली इस एकादशी को पितरों को मोक्ष दिलाने वाली माना जाता है। जो भी जातक यह व्रत सच्ची श्रद्धा से करता है उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर आप इस व्रत का पुण्य पितरों को दान कर देते हैं तो उऩ्हें बैकुण्ठ धाम में भगवान श्री विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है।

 

पितृपक्ष में आने वाली इंदिरा एकादशी का खास महत्व होता है। इस एकादशी व्रत से हमारे पूर्वज न केवल खुश होते हैं बल्कि व्रत का पुण्य दान करने से उन्हें मोक्ष भी प्राप्त होता है, तो आइए इस विशेष इंदिरा एकादशी के महत्व तथा व्रत विधि के बारे में बताते हैं।

जानें इंदिरा एकादशी व्रत के बारे में 

हिन्दू मान्यताओं में एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। आश्विन महीने में कृष्ण पक्ष के दिन आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी की विशेष मान्यता प्राप्त है क्योंकि यह एकादशी पितृ पक्ष में पड़ रही है। इंदिरा एकादशी को मोक्षदायिनी एकादशी कहा गया है।

 

इंदिरा एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा

कथा के अनुसार प्राचीनकाल में महिष्मति नगर में इंद्रसेन नाम का एक राजा शासन करता था। वह राजा विष्णु का परम भक्त था। एक दिन जब राजा अपनी सभा में बैठा था तो महर्षि नारद उसकी सभा में आए। मुनि ने राजा से कहा कि आपके सभी अंग कुशल तो है न और आप विष्णु की भक्ति करते हैं न ? यह सब सुनकर राजा ने कहा कि सब ठीक है। मैं यमलोक में तुम्हारे पिता को यमराज के निकट सोते देखा उऩ्होंने संदेश दिया कि मेरे पुत्र को एकादशी का व्रत करने को कहना। यह सुनकर राजा व्यग्र हो गए और नारद से बोले कि आप मुझे व्रत की विधि बताएं। नारद ने कहा कि दशमी के दिन नदी में स्नान कर पितरों का श्राद्ध करें और एकादशी को फलाहार कर भगवान की पूजा करें। ऐसा करने से आपकी परेशानी दूर हो जाएगी।

साथ ही नारदजी कहने लगे अगर आप इस विधि से बिना आलस के एकादशी का व्रत करेंगे आपके पिता जरूर स्वर्ग जाएंगे। इतना कहकर नारदजी चले गए। नारदजी की कथा के अनुसार राजा ने अपने भाइयों और दासों के साथ व्रत करने से आकाश से फूलों की बारिश हुई और उस राजा के पिता गरुड़ पर चढ़कर विष्णुलोक पर चले गए। राजा इंद्रसेन भी एकादशी के व्रत के असर से अंत में अपने पुत्र राज्य देकर स्वर्ग को चले गए।

 

इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व 

हमारे शास्त्रों में पितृ पक्ष में आने वाली इस एकादशी को पितरों को मोक्ष दिलाने वाली माना जाता है। जो भी जातक यह व्रत सच्ची श्रद्धा से करता है उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर आप इस व्रत का पुण्य पितरों को दान कर देते हैं तो उऩ्हें बैकुण्ठ धाम में भगवान श्री विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है। साथ ही इंदिरा एकादशी का व्रत करने से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर होती हैं तथा मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस व्रत के प्रभाव से न केवल पैसे की परेशानी दूर होती है बल्कि जीवन में सकारात्मकता भी बनी रहती है।

 

इंदिरा एकादशी व्रत में ऐसे करें पूजा 

इंदिरा एकादशी का दिन बहुत खास होता है इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप की पूजा होती है। एकादशी के दिन सुबह स्नान कर सूर्य भगवान को अर्ध्य दें। इसके बाद विष्णु जी की पूजा करें। पूजा के समय भगवान विष्णु से अपने पितरों की मुक्ति या मोक्ष के लिए प्रार्थना करें। साथ ही अपने पितरों के किए गए गलत कामों हेतु भगवान मांगें। पूजा खत्म होने के बाद पितरों का श्राद्ध करें। उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दक्षिणा देकर विदा करें। उसके बाद प्रभु का नाम लेकर फलाहार ग्रहण करें।

 

– रीता पाण्डेय स्नेहा