Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

भक्तो का मान रखने के लिए प्रभु लेते है अवतार-आराधना शास्त्री

हर्रैया/बस्ती । पृथ्वी पर बढ़ते पापाचार, अनाचार व दुराचार को समाप्त कर धर्म की स्थापना कर अपने भक्तों के कल्याण के लिए प्रभु अवतार लेते हैं। उक्त बातें सात दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव के चौथे दिन श्रीराम जन्म की कथा सुनाते हुए अवधधाम से पधारी आराधना शास्त्री ने कही। उन्होंने कथा को विस्तार देते हुए बताया कि नारद द्वारा दिये गये श्राप को सिद्ध करने व मनु सतरूपा को दिये वरदान व विश्वजीत (रावण) के उद्धार हेतु जब महाराजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति हेतु समस्त मनस्वी, तपस्वी, विद्वान ऋषि-मुनियों तथा वेदविज्ञ प्रकाण्ड पण्डितों को यज्ञ सम्पन्न कराने के लिये बुलावा भेज समस्त अभ्यागतों के साथ अपने गुरु वशिष्ठ जी तथा अपने परम मित्र अंग देश के अधिपति लोभपाद के जामाता ऋंग ऋषि को लेकर यज्ञ का विधिवत शुभारंभ किया। यज्ञ से सम्पूर्ण वातावरण वेदों की ऋचाओं से गूंजने तथा समिधा की सुगन्ध से महकने लगा।
महाराज ने ब्राह्मणों, ऋषियों को धन-धान्य, गौ आदि भेंट करके सादर विदा कर यज्ञ के प्रसाद (खीर) को अपने महल में ले जाकर तीनों रानियों में वितरित कर दिया। प्रसाद ग्रहण करने के परिणामस्वरूप तीनों रानियों ने गर्भधारण किया। फलतः चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य, मंगल शनि, वृहस्पति तथा शुक्र जब अपने-अपने उच्च स्थानों में विराजमान थे तो कर्क लग्न का उदय होते ही महाराज दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या के गर्भ से एक शिशु का जन्म हुआ जो कि नील वर्ण परम कान्तिवान तथा अत्यंत सुंदर था। इसके पश्चात् शुभ नक्षत्रों और शुभ घड़ी में महारानी कैकेयी के एक तथा तीसरी रानी सुमित्रा के दो तेजस्वी पुत्रों का जन्म हुआ। सम्पूर्ण राज्य में आनन्द मनाया जाने लगा। महाराज के चार पुत्रों के जन्म के उल्लास में गन्धर्व गान करने लगे और अप्सराएं नृत्य करने लगीं। देवता अपने विमानों में बैठ कर पुष्प वर्षा करने लगे। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक व यजमान चन्द्रमणि पाण्डेय व महन्थ प्रसाद गुप्ता, पप्पू गुप्ता, संतोष गुप्ता, चन्द्रा वस्त्रालय व लक्ष्मी वस्त्रालय के तरफ से फल व मिष्ठान वितरण किया गया बधाई गीतों पर भक्त देर रात्रि तक झूमते व मानस मंदाकिनी में गोते लगाते नजर आये।