जबरिया सेवा निवृत्ति, संविदा पर नियुक्ति का फैसला वापस ले सरकार-उदयशंकर शुक्ल
बस्ती । उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष उदयशंकर शुक्ल ने उत्तर प्रदेश सरकार के नौकरी के नये नियम, 5 वर्ष तक संविदा पर कार्य और परीक्षाओ के बाद मूल नियुक्ति किये जाने के निर्णय की कड़े शव्दों में निन्दा करते हुये कहा है कि यह मेधा का अपमान है, इससे योग्य नौजवान कुण्ठाग्रस्त हो जायेेगे। इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। प्रेस को जारी विज्ञप्ति के माध्यम से श्री शुक्ल ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारें 50 वर्ष की उम्र पार कर लेने वाले शिक्षक, सरकारी कर्मचारियों को जबरन अनिवार्य सेवा निवृत्ति दे रही है, यह कर्मचारियों, शिक्षकों के अधिकारों का खुला उल्लंघन है।
उन्होने मांग किया कि 5 वर्ष तक संविदा पर कार्य और जबरिया कर्मचारियों को सेवा निवृत्ति देने का तुगलकी फरमान वापस लिया जाय। एक नौकरी पर परिवार के न जाने कितने सपने और जरूरते आधारित होती है। यह कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। यदि सरकार ने कर्मचारी विरोधी निर्णयों को वापस न लिया तो आर-पार के संघर्ष की रणनीति तैयार की जायेगी।
शिक्षणेत्तर संघ अध्यक्ष मनीष कुमार ने मांग किया कि सरकार कर्मचारी विरोधी निर्णयों को वापस ले। इसी क्रम में सूर्य प्रकाश शुक्ल, शारदा प्रसाद चौबे ने भी मांग किया है कि सरकार कर्मचारियों, शिक्षकों का उत्पीड़न बंद करे।