Monday, July 1, 2024
साहित्य जगत

कलम उठेगी तो कसम से इनकलाब लिख दूंगा

कलम उठेगी तो कसम से इनकलाब लिख दूंगा
दुनिया भर के सवालों का जवाब लिख दूंगा।

क्यों हर रोज लुट रही है बेटियों की इज्जत
दरिंदों के नसीब में मै अब सैलाब लिख दूंगा।

मुट्ठी भर दरिंदों ने बिगाड़ रखा है माहौल
कलम उठी है तो कसम से जज्बात लिख दूंगा।

वक्त है अभी संभाल लो खुद को वरना 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों का अरमान लिख दूंगा।

 

अशोक श्रीवास्तव

सम्पादक

बस्ती चेतना